अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने कहा “गृह मंत्री ने कहा था कि सरकार उन किसानों से बात करेगी जो बरारी जाएंगे। उनकी अपील के बाद उत्तराखंड और यूपी के किसान यहां आए, लेकिन सरकार ने कल हमें वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया।” वीएम सिंह ने कहा कि इससे यह पता चलता है कि सरकार कानून को हाथ में लेने वालों से ही बात करेगी। अब चूंकि सरकार ने यूपी और उत्तराखंड के किसानों को धोखा दिया है, इसलिए यहां बरारी में रहने का कोई मतलब नहीं है।
इससे पहले कृषि कानून पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच मंगलवार को हुई बातचीत बेनतीजा रही। इसके बाद किसानों ने आंदोलन को और तेज कर दिया है। बैठक में किसानों के सख्त रवैये के चलते उन्हें मनाने में नाकाम रहे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे। बताया गया है कि तीनों मंत्री कृषि कानून पर किसानों की मांग पर चर्चा कर रहे हैं।
इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। राहुल ने लिखा, “कहा- किसान की आय दुगनी होगी। किया- ‘मित्रों’ की आय हुई चौगुनी और किसान की होगी आधी। झूठ की, लूट की, सूट-बूट की सरकार।” एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, “मोदी सरकार, किसानों को जुमले देना बंद करें, बेईमानी-अत्याचार बंद करें, बातचीत का ढकोसला बंद करें, किसान-मज़दूर विरोधी तीनों काले क़ानून ख़त्म करें।”
बता दें कि आज सुबह से ही दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाला चिल्ला बॉर्डर बंद रहा। वहीं उत्तर रेलवे ने कई ट्रेनों को रद्द किया या उनका रूट बदला। बता दें कि एक दिन पहले ही किसानों ने दिल्ली को चारों तरफ से घेरने की योजना के साथ प्रदर्शनों को तेज किया था। इसके चलते राजधानी के अलग-अलग राज्यों से पांच बॉर्डर बंद हो गए थे। माना जा रहा है कि केंद्र के साथ होने वाली 3 दिसंबर की बैठक के बाद ही किसानों के रुख में कुछ परिवर्तन आ सकता है।
इस बीच हरियाणा सरकार में भाजपा की साथी जजपा ने किसानों की मांग मान लेने की सलाह दी है। जजपा के नेता अजय चौटाला ने कहा कि किसान अपने लिए एमएसपी की गारंटी चाहते हैं। इसलिए सरकार को उन्हें एमएसपी का नियम लागू करने का लिखित भरोसा देना चाहिए। चौटाला ने कहा कि आखिर एक लाइन जोड़ने में समस्या ही क्या है? बता दें कि अजय चौटाला हरियाणा के मौजूदा उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पिता हैं।
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अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने कहा "गृह मंत्री ने कहा था कि सरकार उन किसानों से बात करेगी जो बरारी जाएंगे। उनकी अपील के बाद उत्तराखंड और यूपी के किसान यहां आए, लेकिन सरकार ने कल हमें वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया।" वीएम सिंह ने कहा कि इससे यह पता चलता है कि सरकार कानून को हाथ में लेने वालों से ही बात करेगी। अब चूंकि सरकार ने यूपी और उत्तराखंड के किसानों को धोखा दिया है, इसलिए यहां बरारी में रहने का कोई मतलब नहीं है।
WWE सुपरस्टार और रिंग में बड़े-बड़े पहलवानों को धूल चटाने वाले द ग्रेट खली अब दिल्ली-एनसीआर में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में उतर आए हैं। उन्होंने सरकार से किसानों की मांग स्वीकार करने और तीनों कृषि बिल वापस लेने की मांग की है। बाहरी दिल्ली में किसान प्रदर्शन स्थल पर मौजूद खली ने कहा कि वो अपने साथ छह महीने का राशन साथ लाए हैं और जब तक मांग पूरी नहीं होती वापस नहीं लौटेंगे।
दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि मेरी AAP कार्यकर्ताओं से अपील है कि इस मौके पर किसी तरह की राजनीति न करें। सभी पार्टियों के साथ मिलकर किसानों के लिए काम करें। राजनीति करने के लिए बाद में बहुत मौके आएंगे।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ पंजाब यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को प्रदर्शन किए। इसमें शामिल लोगों ने मांग की कि खट्टर अपने किसानों के साथ हरियाणा में हुई बर्बरता के लिए माफी मांगें। चंडीगढ़ में सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा हुए लोगों ने खट्टर का घर घेरने की भी कोशिश की। हालांकि, पुलिस ने पानी की बौछार कर उन्हें तितर-बितर कर दिया।
दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों को खाने की दिक्कत न हो, इसके लिए पूरे पंजाब में हर किसान परिवार योगदान दे रहा है। पंजाब में लगे ज्यादातर पक्के धरने इन दिनों कलेक्शन सेंटर में बदल दिए गए हैं। जहां 70 साल के बुजुर्गों से महिलाएं तक सिर पर आटा, चावल, दाल की बोरियां लादकर पहुंच रहे हैं। हर घर से आटा, दाल, घी, फल, सब्जियां और दूध आदि पहले कलेक्शन सेंटर और फिर वहां दिल्ली पहुंचाया जा रहा है।
दिल्ली के कुछ यूनिवर्सिटी छात्रों ने भी किसान प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर क्रांतिकारी युवा संगठन से जुड़े छात्रों ने किसानों का साथ दिया और नए कृषि कानूनों को बदलने की मांग कर दी। संगठन ने कहा कि सरकार को ऐसे जनविरोधी कानूनों के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए।
किसान आंदोलन के चलते हरियाणा के फरीदाबाद में रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, यहां लंबी दूरी की ट्रेनें कैंसल कर दी गई हैं। सिर्फ दो ही लंबी दूरी की ट्रेनें चल रही हैं। इनमें एक अर्नाकुलम एक्सप्रेस और गीता जयंती एक्सप्रेस शामिल हैं। अर्नाकुलम कुरुक्षेत्र से दक्षिण भारत जारी है, जबकि गीता जयंती कुरुक्षेत्र से आगरा।
दिल्ली में किसानों द्वारा बॉर्डरों के घेरे जाने की वजह से सब्जियों और फलों के दाम में बढ़ोतरी हुई है। व्यापारियों का कहना है कि सब्जी लाने वाले ज्यादातर ट्रक बॉर्डर पर ही अटके हैं, जिससे सप्लाई में समस्या आ रही है। अगर विरोध प्रदर्शन जारी रहे तो सब्जियों की कीमत और बढ़ सकती है।
ट्रैफिक पुलिस ने कहा है कि टिकरी झरोडा और झिटकरा पर वाहनों की आवाजाही बंद है। इसके अलावा बदुसराय बॉर्डर पर भी सिर्फ दोपहिया वाहनों की आवाजाही की इजाजत है। बताया गया है कि हरियाणा आने जाने के लिए धांसा, दौराला, कापसहेड़ा, राजोकरी, बिजवासन, पालम विहार और दुंदहेड़ा बॉर्डर अभी खुले हैं। हालांकि, कुछ मार्ग बंद होने की वजह से खुले मार्गों पर भी काफी भीड़ बढ़ गई है, जिससे जाम की स्थिति बनी है।
नए किसान कानूनों के खिलाफ किसानों को शांत करने के लिए केंद्र सरकार ने मंगलवार को किसानों के प्रतिनिधियों के साथ बात की। किसानों ने कमिटी बनाने के प्रस्ताव को तो नकार दिया लेकिन वे बातचीत के लिए तैयार हैं। विज्ञान भवन में लगभग साढ़े तीन घंटे चली बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया, ‘बैठक अच्छी थी। हमने 3 दिसंबर को अगले चरण की बातचीत करने के फैसला किया है। हम चाहते हैं कि छोटे समूह से बात हो लेकिन किसान चाहते हैं कि सबकी बात सुनी जाए। हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है।’ पढ़ें पूरी खबर...
पंजाब और हरियाणा के किसानों ने बुधवार को भी दिल्ली-हरियाणा के बीच सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन जारी रखे हैं। दिल्ली को घेरने के इरादे से किए जा रहे इन प्रदर्शनों के चलते अब तक पांच बॉर्डर बंद हो चुके हैं।
कृषि कानून पर किसान संगठनों ने पीछे हटने से इनकार कर दिया है। मंगलवार को केंद्र के साथ बैठक में किसान नेताओं ने यहां तक कह दिया कि हम कुछ तो हासिल करेंगे, भले गोली हो या फिर शांतिपूर्ण हल। किसानों ने कृषि कानूनों को डेथ वॉरंट करार देते हुए कहा कि वह बिना बदलाव के प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे।
कृषि कानून पर किसानों को माने में असफल रहे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेलवे मंत्री पीयूष गोयल बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह से मिलने उनके घर पहुंचे। बताया गया है कि तीनों नेता किसानों की मांग पर चर्चा करेंगे। बता दें कि इससे पहले अमित शाह भी किसानों से बुराड़ी के ग्राउंड पहुंचने की मांग कर चुके हैं, जिसे किसान संगठनों ने मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद ही सरकार ने 3 दिसंबर से पहले ही किसानों से बातचीत की।
पंजाब और हरियाणा में किसानों ने गेहूं की बुआई के सीजन का पूरा फायदा उठाते हुए समय पर ही काम पूरा कर लिया। इसके चलते अब उनके पास आंदोलन के लिए काफी समय है। दरअसल, खरीफ फसलों की कटाई भी पूरी हो चुकी है। ऐसे में करीब एक से डेढ़ महीने के लिए किसान पूरी तरह मुक्त हैं। इस दौरान ज्यादातर ने प्रदर्शनों की राह पकड़ते हुए दिल्ली में सरकार के खिलाफ विरोध में शामिल होने का फैसला किया है।
भारत में किसान आंदोलन को ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले लोगों से भी समर्थन मिला है। बता दें कि इससे पहले कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन के नेताओं ने कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन के प्रति समर्थन जताया था। इसमें कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी शामिल थे।
दिल्ली में पड़ रही भयानक ठंड के बावजूद किसान लगातार बॉर्डर पर प्रदर्शनों में जुटे हुए हैं। केंद्र से बातचीत बेनजती रहने के बाद प्रदर्शनों को तेज करते हुए कृषि संगठनों ने दिल्ली से लगे पांच बॉर्डरों को घेर लिया। इनमें नोएडा को जोड़ने वाला चिल्ला बॉर्डर भी शामिल है। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने बुधवार को कहा कि गौतम बुद्ध द्वार पर किसानों के इकट्ठा होने की वजह से यात्री एनएच-24 या डीएनडी का इस्तेमाल करें।