गाजीपुर, टिकरी और सिंघू बॉर्डर समेत विभिन्न स्थलों से किसानों का धरना खत्म कराने के लिए बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस, पड़ोसी राज्यों की पुलिस और त्वरित कार्रवाई बल के जवानों को तैनात किया गया। तीनों जगह से प्रदर्शनकारी हटने लगे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रदर्शनकारियों को हटाया जाए। उसके बाद विभिन्न जिलों से धरना खत्म कराने की खबरें आईं।
दिल्ली से सटे गाजीपुर में भारी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात कर दिया गया। पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर निषेधाज्ञा जारी कर दी और वहां जमे प्रदर्शकारियों को तुरंत जगह खाली करने को कह दिया। पुलिस की चेतावनी के बाद वहां से कई लोग हटे, लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत ने धरना स्थल खाली करने से मना कर दिया। वे प्रदर्शन जारी रखने को लेकर अदालत का रुख करेंगे। दूसरी ओर, सिंघू बॉर्डर पर जमे आंदोलनकारियों को हटाने के लिए स्थानीय लोग सड़क पर उतर आए। वहां दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया। टिकरी बॉर्डर पर भी यही आलम रहा। बुराड़ी से प्रदर्शनकारियों को हटा दिया गया।ॉ
तंबुओं से बिजली-पानी का कनेक्शन काटा गया
गाजीपुर बार्डर पर गुरुवार को दिल्ली व उत्तर प्रदेश पुलिस के अलावा भारी संख्या में अर्धसैनिक बलों को तैनात कर दिया गया। पूर्वी दिल्ली जिला पुलिस ने धारा 144 लागू कर दिया। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी किसानों से अपील की गई कि वे आंदोलनस्थल खाली कर लौट जाएं। यहां पर धरना व प्रदर्शन की अनुमति नहीं है और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इसके साथ ही गाजियाबाद जिला प्रशासन की ओर से धारा 133 के तहत उन्हें आंदोलनस्थल को खाली करने का निर्देश दिया गया, जिसके बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत अड़ गए और कहा कि वे यहां से हटने वाले नहीं हैं। उसके बाद देर रात तक भारी संख्या में सुरक्षा बल गाजीपुर बार्डर पर तैनात रहे। टिकैत ने कहा कि जब तक किसानों की मांगें मान नहीं ली जातीं, किसान एक कदम भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है।
वहीं, दूसरी ओर जिला प्रशासन की ओर से गाजीपुर बार्डर पर किसानों के तंबुओं के बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए गए। इस बारे में राकेश टिकैत ने कहा कि प्रशासन ने किसानों को परेशान करने के लिए यह कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने धरना हटाने की याचिका पर फैसला नहीं दिया है। जिला प्रशासन सुप्रीम कोर्ट से बड़ा नहीं हो सकता।
इस दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस के आला अधिकारियों के साथ टिकैत की बातचीत हुई। उसके बाद अधिकारी लौट गए। इस बीच, काफी संख्या में किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ लौट गए। वहीं माना जा रहा है कि जिस प्रकार से राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत ने किसानों के साथ गांव में पंचायत की है, उसके बाद शुक्रवार को बड़ी संख्या में किसान एक बार फिर से गाजीपुर बार्डर पर समर्थन में पहुंच सकते हैं।
टिकरी बार्डर पर भारी पुलिस बल तैनात
गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा के बाद टिकरी बार्डर पर गुरुवार को बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस व अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है। दिल्ली पुलिस की बढ़ी हलचल और सुरक्षा बलों के जवानों की संख्या में इजाफे से किसानों को पुलिसिया कार्रवाई को लेकर डर सताने लगा है। एक आंदोलनकारी किसान मनविंदर सिंह ने कहा कि जिस प्रकार से सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाई जा रही है, उससे तो यही लग रहा है कि सरकार ने किसानों को हटाने को लेकर कार्रवाई की तैयारी कर ली है, लेकिन वह अपने मकसद में कामयाब नहीं होगी।
वहीं, दिल्ली पुलिस प्रवक्ता ईश सिंघल ने बताया कि किसान आंदोलन में शामिल कुछ किसान बुराड़ी स्थित संत निरंकारी ग्राउंड में आंदोलन कर रहे थे। उनमें से 30 किसान गुरुवार को सिंघू बार्डर की ओर मार्च कर रहे थे जिनमें से 15 को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया। प्रवक्ता ने बताया कि करीब-करीब बुराड़ी ग्राउंड को खाली कर लिया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि शुक्रवार तक इसे पूरी तरह आंदोलनकारियों से खाली करा लिया जाएगा।
सिंघु बार्डर पर स्थानीय लोगों का प्रदर्शन
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के खिलाफ गुरुवार को स्थानीय लोग सड़क पर उतर आए। दिल्ली देहात के विभिन्न गांवों के लोग आंदोलन स्थल पर पहुंचे और आंदोलन कर रहे किसानों को हटने को कहा। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए वहां दिल्ली पुलिस के अलावा बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों को भी तैनात किया गया था। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों ने गुरुवार सुबह से ही मोर्चा संभाल लिया था। पुलिस की हलचल जिस हिसाब से बढ़ी थी, उससे लग रहा था कि वह आंदोलनकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है पर देर रात तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सिंघु बार्डर पर बैठे किसानों को हटाने के लिए बख्तावरपुर, अलीपुर, नरेला, सिंघु गांव के अलावा आसपास के लोग पहुंचे और उन्होंने आंदोलनकारियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। बख्तावरपुर से आए राजेश सिंह ने कहा कि वे भी किसान हैं। बीते दो महीने से काफी दिक्कतों का सामना करने के बावजूद वे इस आंदोलन के समर्थन में थे।
उन्होंने कहा कि वे आंदोलनकारी किसानों को खाने-पीने का सामान तक उपलब्ध करवा रहे थे लेकिन जिस तरह गणतंत्र दिवस के मौके पर देश की गरिमा को ताक पर रखकर लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज के स्थान पर धार्मिक झंडे को लगाया गया, उससे न केवल देश का मान गिरा है, बल्कि किसानों को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि भले ही आंदोलनकारियों को लग रहा हो कि उनके खिलाफ जो स्थानीय लोग आए हैं, उनकी संख्या कम है। पर दो दिन बाद इसकी तुलना में सैकड़ों लोग पहुंचेंगे और जरूरत पड़ी तो बल प्रयोग कर आंदोलन कर रहे लोगों को हटाया जाएगा।
‘आंदोलन स्थल से नहीं हटेंगे, अदालत जाएंगे’
गाजीपुर बार्डर खाली कराने की कोशिशों के बीच भाकियू के नेता राकेश टिकैत ने आंदोलनस्थल छोड़कर जाने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे हटेंगे नहीं, बल्कि अदालत का रुख करेंगे। यदि सरकार फिर भी चाहती है कि किसानों को बल प्रयोग कर हटा देगी तो यह उसकी भूल है। सरकार चाहे तो गोली मार दे। किसान गोली खाने के लिए तैयार हैं लेकिन गाजीपुर बार्डर से तभी हटेंगे, जब सरकार तीनों कानून वापस ले लेगी। टिकैत ने कहा कि उन पर जुल्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक किसान गांव से पानी लेकर नहीं आएंगे, वे पानी नहीं पीएंगे।
प्रशासन की ओर से आंदोलन समाप्त करने के दबाव के बीच टिकैत ने अपने गांव सिसौली में भाई नरेश टिकैत से संपर्क साधा। खबर लिखे जाने तक किसानों के साथ नरेश टिकैत ने गांव में बुलाई पंचायत में दिल्ली कूच करने का एलान किया। उन्होंने शुक्रवार सुबह किसानों की महापंचायत भी बुलाई है। इसी बीच राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने ट्वीट कर बताया कि उन्होंने पार्टी के राष्टÑीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत और राकेश टिकैत से बात की है। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए जीवन मरण का प्रश्न है। सबको एक होना है, साथ रहना है।