महाराष्ट्र विधानसभा से हाल ही में 12 बीजेपी विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया। इस घटना पर महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा, “जो हुआ वह राज्य के लिए शर्मनाक था। यह हमारी संस्कृति नहीं है। लोग चुने हुए प्रतिनिधियों से बेहतर चीजों की उम्मीद करते हैं। एक जिम्मेदार पार्टी से आने वाले इस तरह के व्यवहार से हमारे सिर शर्म से झुक जाते हैं।” भाजपा के साथ फिर से गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर, मुख्यमंत्री ने कहा कि जब 30 वर्षों में, साझेदारी बड़े मतभेदों को निपटाने में सक्षम नहीं हो पाई, तो अब क्या बदल सकता है। मामले पर शिवसेना नेत्री प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है कि सीएम उद्धव के इस बयान से बिल्कुल नहीं लगता कि भाजपा और शिवसेना के बीच बैक-चैनल बातचीत चल रही है।

नेत्री ने कहा कि कल की सीएम द्वारा दिए गए इन दो बयानों से उन सभी अटकलों पर विराम लग जाना चाहिए जो कुछ हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकात के बाद शुरू हुई थीं। इससे पहले मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के सहयोगियों के साथ, मराठों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए दिल्ली में पीएम के साथ मुलाकात की थी। उस बैठक के बाद, पीएम और मुख्यमंत्री के बीच करीब 30-45 मिनट तक बंद कमरे में चर्चा हुई, जिसने एक नई अफवाह को जन्म दिया। अटकलें लगाई जा रही थीं कि बीजेपी-शिवसेना दोनों फिर से हाथ मिलाएंगे।

मामले पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि शिवसेना ने कभी भी खेल खेलने में विश्वास नहीं किया। इसके संस्थापक,बालासाहेब ठाकरे, उसी सिद्धांत से रहते थे और इसका मतलब है कि हमारे गठबंधन स्पष्ट और पारदर्शी रहे हैं। नेत्री ने कहा कि तथ्य यह है कि हमारा भाजपा के साथ 30 साल का गठबंधन था, यह दर्शाता है कि हम एक प्रतिबद्ध और विश्वसनीय सहयोगी हैं।

जानकारी हो कि 2019 में लंबे समय से चले आ रहा भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूट गया था। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि जब से महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी है, तब से इस त्रिदलीय सरकार की अस्थिरता के बारे में मीडिया में खबरें बोई जा रही हैं। ये भाजपा का काम है जो उनका सहारा लेती है क्योंकि केंद्रीय एजेंसियों की मदद से सरकार को अस्थिर करने का उसका हर प्रयास विफल हो गया है। लेकिन गठबंधन मजबूत बना हुआ है और पूरी तरह से महाराष्ट्र राज्य के लिए अपने साझा न्यूनतम एजेंडे पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि भाजपा ने अपमानजनक व्यवहार करने का विकल्प चुना, जिसके कारण उनके 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित करना पड़ा। यह समय है कि भाजपा महाराष्ट्र में एक जिम्मेदार विपक्ष की तरह काम करे। ‘हताश’ बीजेपी को वापसी की कोशिश करने के बजाय महामारी से लड़ने में राज्य सरकार की मदद करने की दिशा में काम करना चाहिए।