देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी बेटी प्रियंका गांधी ने दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास के लिए सिर्फ 8,888 रुपए का ही भुगतान किया था। लुटियंस दिल्‍ली में 2,765.18 sqm के घर के लिए यह भुगतान 14 साल पहले वाजपेयी सरकार के समय किया गया था। उस समय बंगले का किराया बाजार भाव के मुताबिक 53,421 रुपए निर्धारित किया गया था। लेकिन प्रियंका गांधी ने कह दिया था कि वह 53,421 किराया देने में सक्षम नहीं हैं।

वीवीआई सुरक्षा के मद्देनजर प्रियंका गांधी को यह सरकारी बंगला दिया गया था। बंगले का किराया ज्यादा होने का हवाला देते हुए प्रियंका ने तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को 7 मई 2002 में पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने बंगले के निर्धारित किराए 53,421 रुपए को उनके हैसियत से बहुत ज्यादा बताया था। प्रियंका गांधी ने सरकार के सामने यह तर्क रखा था कि उन्हें यह बंगला एसपीजी सुरक्षा के तहत मुहैया कराया गया है और इसके ज्यादातर हिस्से का इस्तेमाल सुरक्षा में तैनात जवान ही करते हैं और उनका परिवार इसका इस्तेमाल नहीं करता।

शहरी विकास मंत्रालय के संपदा निदेशालय की ओर से जारी किए गए इस नोटिंग में बताया गया है कि प्रियंका ने सरकार के सामने यह भी दलील दी थी कि वह इस बंगले में स्वेच्छा से नहीं बल्कि सुरक्षा कारणों की वजह से रह रही हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह बंगले के बढ़े किराए 53,421 प्रति माह की बजाय पुरानी दर 28,451 रुपए प्रति माह ही दे पाएंगी।

24 जुलाई 2003 को जारी हुए नए स्पेशल लाइसेंस फीस के अनुसार यह तय हुआ कि प्रियंका गांधी को उनके बंगले के किराए के तौर पर 8,888 रुपए प्रति माह ही देने होंगे। प्रियंका गांधी को एसपीजी, कैबिनेट सचिव और गृह मंत्रालय के सिफारिश के बाद 1997 में जारी की गई थी। फिलहाल प्रियंका 35, लोधी इस्टेट में स्थित सरकारी आवास में रह रही हैं और वर्तमान में 31,300 रुपए बतौर किराया दे रही हैं।

संपत्ति निदेशालय के मुताबिक प्रियंका को 21 फरवरी 1997 में यह आवास आवंटिक किया गया था और उस वक्त इसका किराया 19,900 रुपए था। उसके बाद समय-समय पर इसके किराए में बढ़ोतरी की गई थी। नोएडा के एक आरटीआई कार्यकर्ता देव आशीष भट्टाचार्या को उनके आरटीआई के जवाब में यह समीक्षा रिपोर्ट भेजी गई है। इसी रिपोर्ट के आधार पर इन तथ्‍यों का खुलासा होने का दावा किया जा रहा है।