केंद्र सरकार ने हाल ही में ट्रेन संचालन के लिए प्राइवेट कंपनियों को मौका देने की योजना सामने रखी थी। अब भारतीय रेलवे ने इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। रेलवे इसके लिए निजी कंपनियों को कम से कम दामों पर जमीन देने के लिए भी तैयार है, ताकि वे इन जगहों को ट्रेनों के मेंटेनेंस के लिए इस्तेमाल कर सकें। सूत्रों के मुताबिक, रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल के तहत रेलवे को अभी देशभर में ऐसी जमीनों की पहचान करनी है, जहां मेंटेनेंस डिपो बनाए जा सकें और जहां प्राइवेट कंपनियां 35 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर मेंटेनेंस फैसिलिटी चला सकें।

जानकारी के मुताबिक, रेलवे के मेंटनेंस डिपो के पास जो भी खाली जगह बची हैं, उन्हें प्राइवेट कंपनियों के लिए निर्धारित कर दिया जाएगा। इसके बाद रेलवे उस जगह पर रेल और रोड कनेक्टिविटी जोड़ने की जिम्मेदारी लेगा। रेलवे अब तक साफ करता रहा है कि यह योजना रेलवे का निजीकरण कतई नहीं है।

सूत्रों ने बताया कि चूंकि निजी कंपनियों को किसी भी तकनीक की ट्रेन लाने की छूट दी गई है, इसलिए उन्हें खुद ही मेंटेनेंस फैसिलिटी बनाने का प्रस्ताव भी दिया गया है। इस समजौते के मद्देनजर रेलवे उन्हें फैसिलिटी बनाने के लिए 35 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर जमीन मुहैया कराएगा। इसमें निजी कंपनियों के लिए खर्च का बोझ न्यूनतम रखने की बात कही गई है, ताकि प्रोजेक्ट को आसान बनाया जा सके और कंपनियों को संचालन के लिए बेहतर जगह मिल सके। हालांकि, कॉन्ट्रैक्ट को इस तरह तैयार किया जाएगा कि समझौता पूरा होने के बाद यह जमीन एक बार फिर रेलवे के ही कब्जे में ही रहें।

बताया गया है कि जिन 12 क्लस्टर में निजी कंपनियों को फैसिलिटी के लिए जमीन दी जानी है, उनमें जयपुर, प्रयागराज, हावड़ा, चंड़ीगढ़, पटना, चेन्नई, सिकंदराबाद, बेंगलुरु शामिल हैं। इसके अलावा दिल्ली-मुंबई में दो-दो फैसिलिटी के लिए जगह दी जाएगी। रेलवे ने सभी जोन्स से जमीन की पहचान करने के लिए कह दिया है। इन क्लस्टर्स में प्राइवेट ट्रेनों के लिए 109 रूट्स की पहचान हुई है, जिनमें 151 ट्रेनें चलाई जाएंगी।