राजधानी दिल्ली में कारगिल विजय दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के दौरान एक मौका ऐसा भी आया जब पीएम नरेंद्र मोदी और सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की आंखों से आंसू छलक पड़े। यहां युवाओं की टीम ने शारीरिक भाव-भंगिमा के जरिये शहीद लांस नायक बच्चन सिंह की कहानी को बयां किया।
कहानी को बेहद ही मार्मिक तरीके से पेश किया गया। कार्यक्रम में लांस नायक की पत्नी सरोज बाला सिंह को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उनके बेटे लेफ्टिनेंट हितेश भी मौजूद थे। शहीद लांस नायक की पत्नी को जब स्टेज पर बेटे के साथ बुलाया गया तो उस समय उनके आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
इस दौरान पीएम मोदी के साथ ही सेना प्रमुख भी भावुक दिखे। इससे पहले पीएम मोदी ने कारगिल युद्ध के समय भारतीय सैनिकों के बलिदान को याद करते हुये कहा कि कारगिल में विजय भारत के वीर बेटे-बेटियों के अदम्य साहस की जीत थी। करगिल में विजय भारत के संकल्पों की जीत थी। करगिल में विजय भारत के सामर्थ्य और संयम की जीत थी। करगिल में विजय भारत के मर्यादा और अनुशासन की जीत थी।
उन्होंने कहा, ‘युद्ध सरकारों द्वारा नहीं बल्कि पूरे देश द्वारा लड़े जाते हैं, कारगिल की जीत आज भी पूरे देश को प्रेरणा देती है…कारगिल प्रत्येक भारतीय की जीत थी।’ उन्होंने कहा, ‘युद्ध के चरम पर होने के दौरान मैं कारगिल गया था और यह मेरे लिए तीर्थयात्रा जैसा था।’ उन्होंने सीमा पर किए जा रहे विकास कार्यों का भी उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर वीर चक्र विजेता बिहार रेजीमेंट के मेजर सर्वानंद के पराक्रम को याद किया जो तमिलनाडु के रहने वाले थे। उन्होंने वीर चक्र विजेता और दिल्ली निवासी राजपूताना राइफल्स के कैप्टन हनीफुद्दीन और परमवीर चक्र से सम्मानित हुये हिमाचल प्रदेश निवासी कैप्टन विक्रम बत्रा को भी याद किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ये दिल मांगे मोर'(कैप्टन बत्रा के शब्द) … किसके लिए उनका दिल ज्यादा मांगता था। न अपने लिए, न किसी भाषा, धर्म या जाति के लिए। यह पूरे देश के लिए, भारत माता के लिए था। मोदी ने कहा, “आइए संकल्प लें कि ये बलिदान व्यर्थ नहीं जाएंगे और हम इन शहीदों के कर्मों से प्रेरणा लेंगे और उनके सपनों के भारत का निर्माण करेंगे।