देश के 69वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को लालकिले की ऐतिहासिक प्राचीर से तिरंगा फहराया। उन्होंने आजादी के हीरक जयंती वर्ष तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का खाका पेश किया। सवा सौ करोड़ देशवासियों को देश की पूंजी, अपनी ताकत व टीम इंडिया का दर्जा देते हुए उन्होंने आह्वान किया कि हर इंसान देश की तरक्की का सपना देखे व उसे पूरा करने की दिशा में आज से काम शुरू कर दे। बच्चों को स्वछता अभियान का असली हीरो बताते हुए उन्होंने कहा कि बापू की 150वीं जयंती पर स्वच्छ भारत अर्पित करने से सच्ची कोई दूसरी श्रद्धांजलि न होगी।
तिरंगे को साक्षी बना कर उन्होंने भ्रष्टाचार के दीमक को जड़ से समाप्त करने का वादा किया। गरीबों के उत्थान की प्रतिबद्धता जताते हुए उन्होंने समाज के आखिरी तबके की क्रय शक्ति बढ़ाने की बात कही। श्रमेव जयते सहित तमाम योजनाओं को समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने का वचन भी दिया। काले धन के मसले पर उन्होंने दावा किया कि इस बारे में कड़े कानून बनाने सहित कई देशों के साथ अहम संधियां की गईं।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को राजघाट पर श्रद्धांजलि देने के बाद लाल किला पहुंच कर राष्ट्रध्वज फहराया। 21 तोपों की सलामी के बाद उन्होंने देश को संबोधित किया। लाल किले से दूसरी बार अपने संबोधन में उन्होंने सरकार के 15 महीनों का रिपोर्ट कार्ड पेश किया व भावी योजनाओं का खाका पेश करते हुए जन भागीदारी से उस पर आगे बढ़ने का वचन दिया। प्रधानमंत्री ने देश की एकता व अखंडता को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि इसे किसी तरह से किसी भी कीमत पर नुकसान न पहुंचे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 60 बरस बीत गए, बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया लेकिन 40 फीसद देशवासियों का बैकों में खाता तक नहीं था। हमने जनधन योजना के जरिए 17 करोड़ गरीबों के खाते खुलवाए। इसका लाभ लेते हुए वे आगे आए और जीरो बैलंस से अकाउंट खोलने के बावजूद इन गरीबों ने बीस हजार करोड़ रुपया बैंक खातों में जमा करवाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंकिंग सेवाओं की पहुंच और विस्तार से किसी देश के विकास को नापा जाता है। बैंक की शाखा खोलना मुश्किल काम नहीं है लेकिन 17 करोड़ देशवासियों को बैंक के दरवाजे तक लाना, ये बहुत कठिन काम होता है, बहुत बड़ा परिश्रम लगता है, जी-जान से जुटना पड़ता है, पल-पल हिसाब मांगना पड़ता है। बैंक कर्मियों ने बैंक को गरीबों के सामने ला करके रख दिया और ये चीज आने वाले दिनों में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाली है।
मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्वतंत्रता दिवस पर एक नए अभियान ‘स्टार्टअप इंडिया’ की घोषणा की। मोदी ने 69वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में सवा सौ करोड़ भारतवासियों की सरलता और भाईचारे को राष्ट्र की ताकत बताया। वन रैंक, वन पेंशन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने इसे सिद्धांत रूप में स्वीकार कर लिया है और इस बारे में जारी वार्ता के सुखद परिणाम की वह उम्मीद करते हैं।
मोदी ने छोटी नौकरियों में इंटरव्यू की अनिवार्यता समाप्त करने का आग्रह किया, जिससे भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सके। अपने लंबे संबोधन में प्रधानमंत्री ने हालांकि संसद में कामकाज बाधित होने के बारे में कुछ नहीं कहा, जिस पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में चिंता जताई थी।
प्रधानमंत्री ने युवाशक्ति के लिए ‘स्टार्टअप इंडिया’ की घोषणा करते हुए कहा कि स्टार्टअप देश को नया आयाम दे सकता है। उन्होंने कहा कि देश में सवा लाख बैंकों की शाखाएं हैं और बैंकों की हर शाखा आदिवासी क्षेत्रों में कम से कम एक आदिवासी युवा को, दलित क्षेत्र में कम से कम एक दलित को अपना रोजगार शुरू करने के लिए कर्ज दें। साथ ही महिलाओं को उद्यम लगाने में मदद करें। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में स्टार्टअप इंडिया, देश के भविष्य के लिए स्टैंडअप इंडिया होगा। हम स्टार्टअप के मामले में पहले नबंर पर आ सकते हैं। जो उद्योग ज्यादा रोजगार देने का काम करेंगे, उनके लिए अलग से आर्थिक पैकेज होगा।
भ्रष्टाचार को दीमक की तरह बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे समाप्त करने के लिए कोने कोने में और बार बार इंजेक्शन लगाते रहने होंगे। उन्होंने कहा- यह देश भ्रष्टाचार से मुक्त हो, इसके लिए ऊपर से प्रयास शुरू करना होगा। भ्रष्टाचार देश में दीमक की तरह लगा हुआ है। लेकिन जब यह बेडरूम में घुस जाए, तब पता चलता है। तब हर स्क्वायर मीटर पर इंजेक्शन लगाना होता है, हर महीने और लगातार सालों तक कोने कोने में इंजेक्शन लगाना होता है। इतने बड़े देश से भ्रष्टाचार मिटाना है तो इसके लिए कोटि कोटि प्रयास करने होंगे।
कालाधन पर काबू करने के बारे में भी ऐसे इंजेक्शन की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि इंजेक्शन का साइड इफेक्ट होगा लेकिन यह बीमारी इतनी घातक है कि साइड इफेक्ट के बाद भी यह इंजेक्शन देना होगा।
मोदी ने कहा कि योजनाएं तो हर सरकार बनाती है और घोषित करती है लेकिन ‘हमने कसौटी इस बात को बनाया है कि हम जो कहते हैं, वह करते हैं। हमने नई कार्य संस्कृति का दबाव बनाया है। हमारे एक साल की विशिष्टता, पराक्रम और हमारी टीम इंडिया का सबसे बड़ा काम यह है कि हमने हर बात की समयसीमा तय की है।
श्रमिकों और गरीबों के सम्मान की जोरदार वकालत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा करना हमारा कर्तव्य और राष्ट्रीय स्वभाव होना चाहिए। अपने आलोचकों पर परोक्ष कटाक्ष करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग निराशा के गर्त में डूब जाते हैं, उनको निराशा में डूबने का शौक होता है, जब तक वे निराशा प्रकट नहीं करते, उन्हें संतोष नहीं मिलता, कुछ लोग निराशा ढूंढते रहते हैं, फैलाते रहते हैं, और जितनी अधिक निराशा फैले, उन्हें उतनी गहरी नींद आती है। लेकिन कोई उनपर ध्यान देने को तैयार नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वे अर्थशास्त्र की इस चिंतनधारा से सहमत नहीं हैं कि वित्तीय समावेश हमेशा अच्छा नहीं होता है और उसके कारण गरीबी का बोझ व्यवस्था पर पड़ता है। भारत जैसे देश में अगर विकास का पिरामिड जो सबसे नीचे की सतह होती है, वहां सबसे चौड़ी होती है। अगर वो मजबूत हो तो विकास का सारा ढांचा मजबूत होता है।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना और जीवन-ज्योति योजना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में करोड़ों-करोड़ों लोग हैं जिनको सुरक्षा का कवच नहीं है। बीमा का लाभ हमारे देश में निम्न मध्यम वर्ग को भी नहीं पहुंचा है, गरीब की बात तो छोड़ो। हमने योजना बनाई कि एक महीने का एक रुपया, साल का 12 रुपए में प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा। आपत्ति काल में दो लाख रुपया परिवार को मिल जाएगा। 90 पैसे रोज में प्रधामंत्री जीवन ज्योति बीमा दिया। देश में 2 लाख 62 हजार विद्यालय ऐसे थे, जिसमें सवा चार लाख से ज्यादा शौचालय बनवाने थे।
ये आंकड़ा इतना बड़ा था कि कोई भी सरकार सोचती- नहीं इसके लिए समय बढ़ा दीजिए, लेकिन टीम इंडिया का संकल्प ऐसा कि किसी ने भी समय बढ़ाने की मांग नहीं की और आज 15 अगस्त को, मैं उस टीम इंडिया का अभिनंदन करता हूं कि उन्होंने भारत के तिरंगे झंडे का सम्मान करते हुए, इस सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और करीब-करीब सारे शौचालय बनाने के काम में टीम इंडिया ने सफलता पाई है। हमने योजना बनाई श्रमेव जयते। भारत में गरीब मजदूर के प्रति देखने का रवैया हमें शोभा नहीं देता है।
हम कोई कोट, पैंट, टाई पहना हुआ महापुरुष मिल जाए, लंबा कुर्ता जैकेट पहन करके कोई महापुरुष मिल जाए तो खड़े होकर उसका बड़ा अभिवादन करते हैं। लेकिन कोई आटो-रिक्शा वाला आ जाए, कोई पैडल रिक्शा वाला आ जाए, कोई अखबार बेचने वाला आ जाए, कोई दूध बेचने वाला आ जाए, इन गरीबों के प्रति हमारा देखने का भाव ठीक नहीं है। उनको सम्मान देना है।