केंद्र सरकार का कहना है कि विपक्ष को राज्यसभा में अपने, ‘व्यवधान डालने वाले और धमकाने वाले’ व्यवहार के लिए माफी मांगनी चाहिए। सरकार ने आज विपक्ष पर आरोप लगाया कि उसके व्यवहार से संसद की कार्यवाही दो दिन पहले खत्म करनी पड़ी। वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने संसद में “बाहरी लोगों को बुलाकर विपक्ष के साथ हाथापाई को अंजाम दिया।”
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि राज्यसभा में सेक्रेटरी जनरल की टेबल नाचने और विरोध प्रदर्शन करने के लिए नहीं है। वहीं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष ने बुधवार को राज्यसभा में बहुत निचले स्तर का व्यवहार किया। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “इस देश के लोगों ने सरकार को अपनी चिंताओं के समाधान खोजने के लिए एक कर्तव्य दिया है। लेकिन हम सभी ने देखा है कि संसद को काम नहीं करने में विपक्ष पूरी तरह से विघटनकारी रहा है। मगरमच्छ के आंसू बहाने के बजाय, विपक्ष को शर्म आनी चाहिए और इस देश के लोगों से माफी मांगने के लिए बाहर आएं। ”
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, “कल से एक दिन पहले, कुछ सांसद (संसद में) टेबल पर चढ़ गए। वे खुद पर गर्व महसूस कर रहे थे। उन्हें लगा कि उन्होंने कुछ अच्छा किया है। उन्होंने इसका वीडियो शूट करने के बाद ट्वीट किया।”
पीयूष गोयल ने कहा, “विपक्ष सांसदों का व्यवहार का बहुत अशोभनीय है … उन्होंने फर्नीचर तोड़ दिया, दरवाजे तोड़ दिए, मंत्रियों के हाथ से कागजात छीन लिए जब वे बयान दे रहे थे, मार्शल के साथ मारपीट की, एक महिला मार्शल को घायल कर दिया, फर्नीचर पर चढ़ गए, डेस्क और कुर्सियों को लात मारी … यह अस्वीकार्य व्यवहार है। उन्होंने पूरे देश को शर्मसार किया है”।
वहीं आज कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने राज्यसभा में कुछ महिला सांसदों के साथ कथित धक्कामुक्की की घटना को बृहस्पतिवार को ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया और इस मुद्दे, पेगासस जासूसी मामला एवं केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
राहुल गांधी ने यह आरोप भी लगाया कि राज्यसभा में सांसदों की पिटाई की गई और इस संसद सत्र में देश के 60 प्रतिशत लोगों की आवाज को दबाया गया, अपमानित किया गया तथा विपक्ष को जनता के मुद्दे उठाने का मौका नहीं दिया गया।