महाराष्ट्र में नई सरकार का निर्माण अधर में चला गया है। शिवसेना ने इस चुनाव में कई ”परंपराएं” तोड़ दींं। चुनावी नतीजों के बाद खुद को सत्ता के पास देखने का आभास कर उद्धव ठाकरे की पार्टी को शायद इसका संतोष भी रहा होगा। लेकिन, अंतिम परिणाम वैसा संतोष देने वाला नहीं रहा। खास कर तब भी नहीं, जब अंत समय में एक और रवायत तोड़ दी हो।
यह रवायत है सियासी बात-मुलाकात की। शिवसेना तमाम चर्चित या बड़ी सियासी बातचीत अपने प्रमुख के घर ‘मातोश्री’ में ही करती रही है। जब बाला साहब ठाकरे प्रमुख थे तब भी और उद्धव बने, तब भी। पर इस बार (11 नवंबर) उद्धव ने होटल में जाकर एनसीपी चीफ शरद पवार से मुलाकात की।
Maharashtra Government Formation News Updates
प्रमोद महाजन से लेकर अमित शाह तक, भाजपा की ओर से जो भी बात करने जाते थे, ठाकरे निवास, यानी ‘मातोश्री’ में ही जाते थे। मीडिया में मुलाकात की जो तस्वीरें आती रही हैं, वो यहीं की रही हैं। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के पहले भी अमित शाह ने ‘मातोश्री’ जाकर ही सीटों के बंटवारे पर बात की थी।
यही नहीं, एक और परंपरा तोड़ते हुए शिवसेना प्रमुख ने पहली बार परिवार के सदस्य को चुनाव में उतारा। उद्धव ने बेटे आदित्य को टिकट दिया। वह भी मुख्यमंत्री का चेहरा बताते-जताते हुए। शायद इसी वजह से उद्धव बतौर सीएम आदित्य के अलावा किसी और को नहीं देखना चाहते और इसके लिए बीजेपी से वर्षों पुरानी दोस्ती भी तोड़ दी। मगर उसका कोई दांव काम न आया और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया।
बता दें कि महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिरोध के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने से जुड़ी उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किए। यानी इसके बाद से महाराष्ट्र विधानसभा निलंबित रहेगी। दरअसल, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इससे कुछ ही देर पहले सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी, क्योंकि राज्य में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी दल सरकार नहीं बना पाया था।
