दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को माकपा नेता बृंदा करात से उन प्राथमिकियों (FIR) की कॉपी पेश करने को कहा, जिनमें वह पुलिस के खिलाफ जांच की मांग कर रही थीं। करात का आरोप है कि 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान पुलिस ने अत्यधिक बल का प्रयोग किया था।

जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनीश दयाल की बेंच ने कहा कि एक बार ऐसी प्राथमिकियों के रिकॉर्ड में आने के बाद दिल्ली पुलिस को मामलों की जांच के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जा सकता है। करात के वकील ने अदालत को बताया कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान पुलिस के बल प्रयोग के खिलाफ कई केस दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी ही एक घटना वायरल वीडियो के जरिये सामने आई थी, जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों को एक मुस्लिम युवक को पीटते हुए और उसे राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करते हुए देखा गया था।

दिल्ली दंगों में मारे गए थे 53 लोग, 700 से ज्यादा हुए थे जख्मी

बेंच ने कहा कि उन प्राथमिकियों की प्रति दाखिल करें जिनमें आप चाहते हैं कि हम स्वतंत्र जांच का निर्देश दें। इसे रिकॉर्ड पर लाया जाए। अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो 2020 के दंगों के बाद दायर की गई थीं। सीएए के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच भिड़ंत होने के बाद 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें भड़क उठी थीं, जिसमें तकरीबन 53 लोग मारे गए और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए।

वृंदा करात ने पुलिस के खिलाफ स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिका के साथ हेट स्पीच के लिए बीजेपी नेताओं के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग वाली याचिका भी शामिल थी। अदालत ने निर्देश दिया कि सभी मामलों को सात अगस्त को सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाए।

हाईकोर्ट ने 13 जुलाई 2022 को अनुराग ठाकुर, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के साथ दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत कई नेताओं को हेट स्पीच जांच की मांग वाली याचिका में पक्षकार बनाया था। याचिकाकर्ता शेख मुजतबा फारूक ने भाजपा नेता अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण के लिए प्राथमिकी की मांग की है।