दिल्ली में अवैध अप्रवासी के रूप में पकड़े जाने और उसके बाद बांग्लादेश भेजे जाने के 162 दिन बाद, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बुधवार को गर्भवती सुनाली खातून और उसके आठ साल के बेटे को आखिरकार वापस भारत लाया गया। हालांकि, चार अन्य लोग दानिश शेख (सुनाली के पति) और स्वीटी बीबी अपने दो बच्चों के साथ अभी बांग्लादेश में ही हैं। सभी छह लोगों को एक साथ डिपोर्ट कर दिया गया था।
बुधवार शाम को सुनाली और उसके बेटे को पश्चिम बंगाल के मालदा स्थित महादीपुर सीमा चौकी पर लाया गया। बीएसएफ और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के बीच फ्लैग मीटिंग के बाद, उसे भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया। सुनाली खातून ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मैं भारत लौटकर बहुत खुश हूं। मैं चाहती हूं कि मेरे पति भी सुरक्षित वापस आ जाएं।”
हम सुनाली को वापस लाने में कामयाब रहे- मोफिजुल इस्लाम
महादीपुर में मौजूद बीरभूम के रहने वाले और सामाजिक कार्यकर्ता मोफिजुल इस्लाम ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया , “महीनों की जद्दोजहद के बाद, हम गर्भवती सुनाली और उसके बेटे को वापस लाने में कामयाब रहे हैं। उसका पति और एक अन्य परिवार अभी भी वहीं हैं। जब तक हम उन्हें वापस नहीं ला लेते, हम चैन से नहीं बैठेंगे।” इस्लाम चपैनवाबगंज में दो निर्वासित परिवारों की सहायता कर रहे थे।
पश्चिम बंगाल प्रवासी मजदूर कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और टीएमसी के राज्यसभा सांसद समीरुल इस्लाम ने एक्स पर लिखा, “आखिरकार, बांग्ला-विरोधी जमींदारों के खिलाफ लंबी लड़ाई के बाद, सुनाली खातून और उनका नाबालिग बेटा भारत लौट आए हैं। यह दिन एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में याद किया जाएगा जो गरीब बंगालियों पर हुए अत्याचारों और अत्याचारों को उजागर करता है। सुनाली को इस साल जून में जबरन डिपोर्ट कर दिया गया था। छह महीने की अकल्पनीय पीड़ा सहने के बाद, वह और उनका बच्चा आखिरकार अपने वतन लौट आए हैं।”
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उन्होंने आगे कहा, “माननीय सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद, गरीब-विरोधी केंद्र सरकार ने दो दिनों तक उनकी तत्काल वापसी सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। हमारे वकीलों को मजबूर होकर आज फिर से सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह मामला उठाना पड़ा। तभी वापसी संभव हो पाई।”
सुनाली को परिवार समेत भेज दिया गया था बांग्लादेश
बीरभूम के पैकर गांव की रहने वाली सुनाली, उनके पति दानिश और उनके बेटे को 26 जून को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लेने के बाद बांग्लादेश भेज दिया था। यह प्रवासी मजदूर परिवार लगभग 20 सालों से दिल्ली में कूड़ा बीनने का काम कर रहा था। बीरभूम के मुरारई थाना क्षेत्र के धितोरा गांव का रहने वाला एक और परिवार, स्वीटी बीबी और उसके छह और 16 साल के दो बेटों को उसी समय हिरासत में लेकर निर्वासित कर दिया गया।
दोनों परिवारों को दिल्ली पुलिस ने केएन काटजू मार्ग थाना क्षेत्र से हिरासत में लिया और उन पर अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए होने का आरोप लगाया। 21 अगस्त को उन्हें बांग्लादेश की चपैनवाबगंज पुलिस ने पासपोर्ट अधिनियम और विदेशी अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया और स्थानीय अदालत में पेश करने के बाद जेल भेज दिया।
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