तमिलनाडु के डीएमके चीफ एमके स्टालिन की मौजूदगी में धर्म उपदेशक कलाईरासी नटराजन (Kalairasi Natarajan) के एक बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। उपदेशक ने कहा, “हिंदुत्व नाम का कोई धर्म है ही नहीं, हम सभी शैव और खासकर तमिल हैं। इसका अस्तित्व केवल कुछ शताब्दियों पहले था।” उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो लोगों ने कई तरह के कमेंट किए। लोगों ने राज्य के अगले चुनाव में स्टालिन के बहिष्कार करने तक को कहा।

वीएचपी नेता श्रीराज नायर ने कहा, “अतीत में लोगों द्वारा की गई गलतियों को स्टालिन को समझना चाहिए। जो लोग तुष्टिकरण की राजनीति में लगे हैं, वे इतिहास से मिट गए।”

तमिलनाडु के बीजेपी चीफ एल मुरुगन ने कहा, “डीएमके की कार्रवाई निंदनीय और अस्वीकार्य है।” बीजेपी नेता नारायण तिरुपति ने आरोप लगाया कि डीएमके हमारे धर्म को गाली देने वाले ऐसे लोगों को पैसे देती है।

ट्वीटर पर एक यूजर @naammaikyarkha ने लिखा, “अलवर कौन थे? अंडल कौन थे? भक्ति आंदोलन क्या था? आज भी कुछ सबसे अच्छे मंदिर तमिलनाडु में है। भगवान राम की यात्रा की पूर्णता तमिलनाडु के रास्ता सुझाने पर श्रीलंका में हुई थी। रामेश्वरम राम की शिवभक्ति और शिव की रामभक्ति का प्रमाण है। हिंदी नफरत से हिंदू नफरत तक के लिए यह सब किया जा रहा है।”

एक अन्य यूजर @shailendra8273 ने लिखा, “जाति, पंथ, धर्म, भाषा के आधार पर सफलतापूर्व बांटने के बाद अब संप्रदाय के आधार पर बांटने की चाल है। भारतीय राजनीति बिना ध्रूवीकरण के जिंदा नहीं रह सकती है। हम सब लोग वास्तविक और जमीनी समस्याओं को सामने रखकर कब चुनाव लड़ेंगे।”

कुछ दिन पहले कथित रूप से विवादास्पद ईसाई इंजीलवादी पादरी और द्रमुक समर्थक बिशप एज्रा सरगुनम ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था, “उनके पास देश पर शासन करने के लिए कोई योग्यता नहीं है, क्योंकि वह अपनी पत्नी के साथ पांच दिनों तक भी नहीं रह सके।”

एमके स्टालिन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए एज्रा सरगुनम ने उनकी नीतियों को लेकर मोदी सरकार पर हमला किया था और कहा था कि वे जो भी बोल रहे हैं वह दिल्ली में गूंजना चाहिए। कहा था कि यह भाषण मोदी के कानों में पड़ना चाहिए।