चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर आज द इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम ‘एक्सप्रेस अड्डा’ में शिरकत कर रहे हैं। कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डॉयरेक्टर अनंत गोयनका से बातचीत के दौरान बताया कि भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे बड़ा खतरा क्या है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता बीजेपी के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
कार्यक्रम के दौरान तमाम मुद्दों पर चर्चा करते हुए प्रशांत किशोर से जब उनसे बीजेपी के लिए सबसे बड़े जोखिम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “पीएम मोदी पर अत्यधिक निर्भरता ही अब उनकी सबसे बड़ी समस्या है।” वहीं, जब उनसे पूछा गया कि नरेंद्र मोदी के बाद कौन आएगा तो उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता लेकिन जो भी होगा वह उनसे भी अधिक कट्टरपंथी होगा।
पीएम मोदी को बुजुर्गों का काफी समर्थन हासिल
प्रशांत किशोर ने पीएम मोदी के समर्थन आधार के बारे में बात करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन आधार में व्यापक बदलाव आया है। उन्होंने अब युवाओं से ज्यादा बुजुर्ग लोगों के बीच काफी समर्थन हासिल किया है।” पीके ने यह भी दावा किया कि भारत में विपक्ष कमजोर नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले नौ – दस साल के डेटा पर नजर डालें तो पता चलता है कि कम से कम दो- तीन मौके ऐसे आए, जब बीजेपी को बैकफुट पर धकेला जा सकता था।
पीके ने कहा कि साल 2015 में दिल्ली में बीजेपी को आप के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इसी साल बिहार में बीजेपी को महागठबंधन से हारी। बिहार के बाद बीजेपी बंगाल और तमिलनाडु भी हारी हालांकि इसके बाद असम में मिली जीत ने बीजेपी को वापस आने का मौका दिया। विपक्ष को इस मौके का फायदा उठाना चाहिए था।
विपक्ष नहीं उठा रहा अवसर का लाभ
चुनावी रणनीतिकार ने कहा, “मैं इस धारणा से असहमत हूं कि बीजेपी सिर्फ इसलिए जीत रही है क्योंकि उनके पास सपोर्ट है। इससे उन्हें कोई फायदा नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा, “डेटा एक ऐसी चीज़ है जिसके बारे में लोगों को यह जानना ज़रूरी है कि इसका उपयोग कैसे किया जाए। संदेशवाहक महत्वपूर्ण है, संदेश कैसे दिया जाता है यह अप्रासंगिक है। उदाहरण के लिए, राहुल गांधी की सोशल मीडिया पर पहुंच भाजपा के कई लोगों से अधिक है, लेकिन वह लोगों तक उतनी पहुंच नहीं पा रहे हैं क्योंकि वह सही बातें नहीं कह रहे हैं।”
प्रशांत किशोर ने यह समझाते हुए कि विपक्ष को क्या करना चाहिए कहा, “विपक्ष को पहले उन लोगों को एकजुट करने की जरूरत है जो भाजपा की विचारधाराओं से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। तभी वे हिंदुत्व या मंडल राजनीति जैसे मुद्दों पर उनसे लड़ने के तौर-तरीकों में शामिल हो सकते हैं। अगर 60 प्रतिशत भाजपा की मानसिकता से सहमत नहीं हैं, तो विपक्षी दलों को पहले यह पता लगाना होगा कि उन 60 प्रतिशत वोटों में से 60 प्रतिशत कैसे प्राप्त करें।
वोट निश्चित रूप से पीएम मोदी के इर्द-गिर्द होंगे- प्रशांत किशोर
आगामी लोकसभा चुनावों के बारे में जब प्रशांत किशोर से पूछा गया कि क्या मंडल और मंदिर के मुद्दे पीएम मोदी के दिमाग में रहेंगे तो उन्होंने कहा, “वोट निश्चित रूप से पीएम मोदी के इर्द-गिर्द होंगे। हां, अयोध्या में राम मंदिर बड़ा है लेकिन अगर आप पीएम मोदी को समीकरण से हटा दें तो बीजेपी भी मान लेगी कि यह उतना प्रभावी नहीं होता जितना है।”