दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों से आहत मशहूर बंगाली अभिनेत्री सुभद्रा मुखर्जी ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। वह साल 2013 में भाजपा में शामिल हुई थीं। उन्होंने बीते शुक्रवार को इस बाबत पार्टी को अवगत भी कराया है। हालांकि भाजपा को उम्मीद है कि बंगाली अभिनेत्री अपने फैसले पर एक बार फिर विचार करेंगी। मुखर्जी ने शनिवार (29 फरवरी, 2020) को पत्रकारों से कहा कि ‘मैं बहुत उम्मीदों और आशाओं के साथ पार्टी में शामिल हुई थी, मगर दिल्ली में हिंसा और बढ़ते नफरत के माहौल से परेशान हूं।’

उन्होंने आगे कहा, ‘भाई-भाई धर्म के नाम पर एक-दूसरे का गला क्यों काट रहे हैं? 40 से अधिक लोगों की मौत की खबर सुनकर मैं परेशान हो गई थी।’ बता दें कि मुखर्जी ने भाजपा प्रदेश इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष को अपना त्याग पत्र पहले ही भेज दिया था। खबर यह भी है कि उन्होंने कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर जैसे नेताओं को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि वो उस पार्टी में नहीं रह सकतीं जिसमें कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर जैसे नेता हैं।

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बंगाली अभिनेत्री ने कहा कि वो राजनीति के उस ब्रांड के साथ नहीं जुड़ना चाहतीं जहां लोगों को उनके धर्म के नाम पर आंका जाए। वहीं सुभद्रा मुखर्जी के बयान के बीच वरिष्ठ भाजपा नेता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी ने कभी भी किसी भी मुद्दों पर अपनी विचारधारा से समझौता नहीं किया है।

उन्होंने कहा, ‘हमने पचास के दशक से शरणार्थियों और घुसपैठियों की पहचान करने के मुद्दे पर बात की है। हम यह भी मानते हैं कि दिल्ली हिंसा में भाजपा किसी तरह से शामिल नहीं है।’ इस बीच उन्होंने यह भी साफ किया कि पार्टी छोड़ने पर मुखर्जी के रुख की उन्हें जानकारी नहीं है। पार्टी को उम्मीद है कि वो अपने फैसले पर दोबारा विचार करेंगी।’

उल्लेखनीय है कि बहुत सी फिल्मों और नाटकों में काम कर चुकीं बंगाली अभिनेत्री ने कहा कि वो नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ नहीं है, अगर यह धार्मिक पहचान के आधार पर लोगों में भेदभाव नहीं करता है।