भारत में एक फिरके के छिटपुट एतराज के बावजूद पूरी दुनिया 21 जून को योग दिवस मनाने के लिए कमर कस चुकी है। संयुक्त राष्ट्र संघ और दुनिया के डेढ़ सौ से ज्यादा देश इस मुहिम में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैं, जिनमें चालीस से अधिक इस्लामी देश भी शामिल है।

इसके बावजूद भारत का मुसलिम लॉ बोर्ड व कुछ अन्य इस्लामी संस्थाएं और विद्वान योग में शामिल कुछ बातों पर आपत्ति जता रहे हैं। बहरहाल उनके एतराज के बाद सरकार ने सूर्य नमस्कार और ओम के उच्चारण के बिना योग करने का इरादा बनाया है। सरकार ने कहा है कि योग का धर्म से कोई वास्ता नहीं है। जो विरोध करना चाहे करे, जो योग करना चाहता है, वह योग करे।

केंद्र सरकार का कहना है कि हालांकि सूर्य नमस्कार और ओम योग का अहम हिस्सा है। पर यह अनिवार्य नहीं है, इसलिए सरकार किसी तरह की जिद के बिना योग दिवस को कामयाब बनाएगी। योग दिवस मनाने की सरकारी तैयारियों के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की ओर से इस बाबत लिया गया फैसला वैश्विक स्तर पर योग को लोकप्रिय करेगा और इस ‘अमूल्य भारतीय धरोहर’ से लोग लाभ पा सकेंगे।

बहरहाल सरकार ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए आयोजित वृहद कार्यक्रम में शामिल होने की खातिर देश में 152 विदेशी मिशनों के राजनयिकों को आमंत्रित किया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यक्रम में शामिल होंगे।

सूत्रों ने कहा कि हर एक राजनयिक मिशन को कार्यक्रम के लिए तीन पास दिए गए हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन राजपथ पर सुबह साढ़े सात बजे से होगा। यह पूछे जाने पर कितने राजनयिकों ने अपने शामिल होने के बारे में पुष्टि की है, उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में शामिल होने के बारे में अब भी पुष्टि आ रही है।

सूत्रों ने कहा कि हालांकि, हर शीर्ष दूत के शामिल होने की संभावना नहीं है। उनमें से कुछ यात्रा पर होंगे जबकि कुछ का पहले से कार्यक्रम तय होगा। आयुष मंत्री श्रीपद यसो नाइक ने सोमवार को राजपथ पर कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लिया। कार्यक्रम में 35 से 40 हजार लोगों के शामिल होने की संभावना है। इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण और वेबकास्ट होगा।

इस बीच स्कूलों में योग की अनिवार्य कक्षा के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड सहित कुछ अल्पसंख्यक संगठनों के विरोध के बीच सरकार ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के कार्यक्रमों में भागीदारी ‘अनिवार्य’ नहीं है। हालांकि, योग दिवस कार्यक्रमों का समन्वय कर रहे नाइक ने कहा, ‘यह योग है और इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।’

राजपथ पर होने वाले इस विशाल कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा के बाद नाइक ने कहा, कार्यक्रम अनिर्वाय नहीं है और इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा, हमने कुछ भी अनिवार्य नहीं किया है। यह योग है और इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। हम सभी लोगों से अनुरोध करते हैं…हमारी प्राचीन धरोहर को दुनिया को दिखाने के लिए यह देश में हर किसी के पास एक अवसर है। इस कोशिश का किसी पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। यह हमे देश का गौरव लाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि जो विरोध करना चाहते हैं कर सकते हैं, क्या किया जा सकता है?

नाइक ने कहा, मैं नहीं समझ पा रहा कि वे विरोध क्यों कर रहे हैं। जब संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पारित किया गया था तब 177 देश इसके पक्ष में थे जिनमें से 37 मुस्लिम देश हैं। उन्होंने कहा कि योग किसी धर्म की बात नहीं करता। यदि किसी को इसका कुछ हिस्सा नहीं करना है तो उसे ना करें। अगर आप योगाभ्यास के दौरान ओम नहीं कहना चाहते हैं तो इसे नहीं कहें। कम से कम कोई भी योग तो कर ही सकता है।

दरअसल, उनसे सूर्य नमस्कार और स्कूलों में योग को अनिवार्य बनाए जाने के कदम के खिलाफ एआइएमपीएलबी के राष्ट्रव्यापी अभियान के बारे में पूछा गया था। नाइक ने यह भी कहा कि राजपथ के कार्यक्रम में करीब 35,000 लोगों के शरीक होने की उम्मीद है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर में भारत नीत प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री ने उसके तीन महीने पहले इस विचार का प्रस्ताव किया था। इस कार्यक्रम के पहले सरकार समग्र स्वास्थ्य के लिए योग पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेगी। रक्षा मंत्रालय की ओर से, 11 लाख से ज्यादा एनसीसी कैडेट योग कार्यक्रमों में शामिल होेंगे वहीं गृह मंत्रालय की ओर से, सशस्त्र पुलिस बलों के पांच हजार सदस्य राजपथ पर शामिल होंगे।

अधिकारियों के अनुसार मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत विभिन्न इकाइयों में करीब नौ लाख लोग योग कार्यक्रमों में शामिल होंगे और शिक्षण संस्थानों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। इसके साथ ही राजपथ पर आयोजित कार्यक्रम में पांच हजार स्कूली छात्रों के लिए भी व्यवस्था की जाएगी।

युवा मामलों के मंत्रालय के तहत नेहरू युवा केंद्र संगठन और महिला मंडलों के संबंधित जिलों में योग कार्यक्रमों में शामिल होने की संभावना है। संस्कृति मंत्रालय के तहत संगीत नाटक अकादमी के जरिए योग प्रदर्शनी की भी योजना बनाई गई है। पर्यटन मंत्रालय भारत और विदेशों में अपने कार्यालयों के जरिए कार्यक्रम के प्रचार के लिए विस्तृत तैयारियां कर रहा है।

इस बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र की ओर से इस संबंध में लिया गया फैसला वैश्विक स्तर पर योग को लोकप्रिय करेगा और इस ‘अमूल्य भारतीय धरोहर’ से लोग लाभ पा सकेंगे । मुखर्जी को यहां एक कार्यक्रम में दृष्टिहीनों के लिए ब्रेल लिपि में बनाए गए योग मैनुएल ‘योगी का स्पर्श’ की पहली प्रति भेंट की गयी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय पद्धतियां शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों की जरूरतों का संपूर्ण उत्तर हैं।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के बारे में उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि इससे योग को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी और लोगों को इस अमूल्य भारतीय धरोहर से फायदा उठाने में मदद मिलेगी।’

मुखर्जी ने कहा कि योग कला, विज्ञान और दर्शन है, जो जनता को आत्मानुभूति कराने में मदद करता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने पुष्टि की है कि योग से न सिर्फ तनाव कम होता है बल्कि दीर्घकाल तक कई फायदे होते हैं। ‘योगी का स्पर्श’ भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की बेटी निवेदिता जोशी ने लिखी है।

निवेदिता ने कहा कि उनके दिल में में दुनिया भर के 3.9 करोड़ दृष्टिहीनों तक योग पहुंचाने की इच्छा लंबे समय से थी। इस प्रयास से उन लोगों के जीवन में और प्रकाश आएगा, जो यह सोचते हैं कि वे इस (योग की) दिशा में आगे नहीं बढ़ सकते हैं।