CJI D Y Chandrachud: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में पैसे का प्रभाव केवल राजनीति और चुनावी नतीजों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी फैसलों तक भी फैला हुआ है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत में कानूनी व्यवस्था अभियान फंडिंग और चुनावी फंडिंग के बीच अंतर नहीं करती है। राजनीतिक दलों को जो धन दान दिया जाता है, उसका उपयोग राजनीतिक दल केवल चुनावी अभियानों के लिए नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, पार्टी के दान का उपयोग राजनीतिक दल के लिए कार्यालय बनाने और पार्टी कार्यकर्ताओं को भुगतान करने के लिए भी किया जाता है।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ कहा कि फिर से राजनीतिक दलों के लिए फाइनेंशियल कंट्रीब्यूशन की खिड़की चुनाव से पहले सीमित अवधि के लिए खुली नहीं है। राजनीतिक दलों को पूरे साल धन का योगदान दिया जा सकता है। चंद्रचूड़ ने कहा कि कंट्रीब्यूटेट मनी राजनीतिक दल द्वारा चुनाव प्रचार के अलावा अन्य कारणों से भी खर्च किया जा सकता है।

चंद्रचूड़ ने कहा कि अमीर राजनीतिक कंट्रीब्यूटर्स ज्यादातर निगमों, कंपनियों और आम नागरिकों के बीच आर्थिक असमानता “पैसे और राजनीति के बीच गहरे संबंध के कारण राजनीतिक जुड़ाव के विभिन्न स्तरों” को जन्म देती है। प्राथमिक स्तर पर राजनीतिक कंट्रीब्यूटर्स को मेज पर सीट देता है या विधायकों तक पहुंच बढ़ाता है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह पहुंच नीति-निर्माण पर प्रभाव में भी तब्दील हो जाती है। एक आर्थिक रूप से संपन्न व्यक्ति के पास राजनीतिक दलों को वित्तीय योगदान देने की अधिक क्षमता होती है, और इस बात की संभावना है कि किसी राजनीतिक दल को वित्तीय योगदान देने से धन और राजनीति के बीच मजबूत संबंध होने के कारण बदले की व्यवस्था हो जाएगी।

सीजेआई ने कहा कि राजनीति पर पैसे के प्रभाव ने मतदाताओं के लिए राजनीतिक फंडिंग के बारे में जानकारी हासिल करना और भी जरूरी बना दिया है, जिससे उन्हें यह आकलन करने में मदद मिलेगी कि नीति-निर्माण और वित्तीय योगदान के बीच कोई संबंध है या नहीं।