राजौरी में हुए सेना के काफिले पर आतंकी हमले में पांच जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद सेना ने कुछ नागरिकों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। इसमें से तीन की अगले दिन मौत हो गई थी। इस घटना पर राजनीति भी तेज हो गई है। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पुंछ में मारे गए तीन नागरिकों के परिजनों से मिलने जा रही थीं लेकिन इस दौरान पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया।

इसके बाद महबूबा मुफ्ती वहीं पर धरने पर बैठ गईं। महबूबा मुफ्ती मुगल रोड से होते हुए सुरनकोट पहुंची थीं और उनके काफिले को बफलियाज से आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं दी गई। महबूबा मुफ्ती पुंछ के टोपा पीर गांव में जा रही थी। यह तीनों नागरिक वहीं के थे। जब पुलिस ने महबूबा मुफ्ती को रोका तो वह वहीं धरने पर बैठ गईं और कहा कि उन्हें गांव का दौरा करने की अनुमति दी जाए।

इस दौरान महबूबा मुफ्ती ने प्रशासन के रवैये पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, ” भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना को पीड़ित परिवारों से मिलने की अनुमति दी गई लेकिन मुझे क्यों रोका गया? प्रशासन मुझसे इतना क्यों डरता है? कोई सुरक्षा समस्या नहीं है, फिर भी अनुमति नहीं दी जा रही है। सब कुछ चालू है और अन्य दलों के नेता भी परिवारजनों से मुलाकात कर रहे हैं लेकिन मुझे रोका जा रहा है?”

बता दें कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 27 दिसंबर को जम्मू कश्मीर का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने मारे गए 3 नागरिकों के परिवार के सदस्यों से मुलाकात भी की थी। इसके अलावा उन्होंने सैनिकों के स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी ली थी। इस दौरान थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे भी उनके साथ थे।

हिरासत में लिए गए एक व्यक्ति ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि उसे और अन्य बंदियों को कपड़े उतारकर पीटा गया और उनके घाव पर मिर्च पाउडर तब तक छिड़का गया जब तक वह बेहोश नहीं हो गए। अशरफ ने कहा कि हमें लाठियों और लोहे की छड़ों से पीटना शुरू कर दिया और हमारे घावों पर मिर्च पाउडर तब तक मलते रहे जब तक हम बेहोश नहीं हो गए। उन्होंने दावा किया कि पूछताछ के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने उनसे पूछा कि क्या उन्होंने आतंकवादियों को भोजन उपलब्ध कराया था?