हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ सोमवार को जेएनयू छात्रों के संसद तक प्रोटेस्ट मार्च निकालने के दौरान हुए लाठी चार्ज की खबरें और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं। इस पर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी दे रहे हैं। गौरतलब है कि पुलिस द्वारा लाठी चार्ज में कई छात्र बुरी तरह जख्मी हो गए, जबकि 100 के करीब हिरासत में लिए गए थे। कई छात्राओं ने आरोप लगाए कि उन्हें पुरुष पुलिसकर्मियों ने हिरासत में लिया। पुुुुलिस का कहना है कि उसने लाठीचार्ज नहीं किया। हालांकि, कई लहू-लुहान छात्र अस्पताल पहुंचे और लाठियां भांजते जवानों की तस्वीरें भी मौजूद हैं। इन तस्वीरों पर सोशल मीडिया पर एक तरफ गुस्सा है, तो काफी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जो तंज कस रहे हैं।
जनसत्ता ने भी जब अपने फेसबुक पेज पर एक जख्मी छात्र की तस्वीर के साथ ‘जेएनयू छात्रों के संसद मार्च पर लाठी चार्ज, कई घायल’ शीर्षक सेे खबर खबर पोस्ट की तो यह वायरल हो गई। आठ घंटे में यह पोस्ट 13 हजार से ज्यादा लोगों ने शेयर की और इस पर 2000 से ज्यादा कमेंट्स आए।
इन कमेंट्स के आधार पर देखें तो यूजर्स दो भांगों में बंटे दिखाई दे रहे हैं। एक वर्ग लाठी-चार्ज की सराहना कर रहा है और जेएनयू में फीस बढ़ोतरी को सही बता रहा है। जबकि, दूसरा वर्ग इसे तानाशाही और पुलिस की बर्बर कार्रवाई बता रहा है।
एक यूजर ने कहा, “देश के भविष्य इन युवा लोगों के साथ पुलिस ऐसा व्यवहार क्यों कर रही है? क्या पुलिस वकीलों के साथ हुए संघर्ष को भूल गई है! पुलिसकर्मियों को हमारे भविष्य के नेताओं के खिलाफ लाठी या हथियार के इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए। यह बेहद ही शर्मनाक पल है। पुलिस को पार्टी लाइन से अलग हटकर काम करना चाहिए।”

नीचे की तस्वीर पर क्लिक कर देखिए प्रदर्शनकारी छात्रों का हाल

एक दूसरे यूजर ने लिखा, “हिटलरशाही और अंग्रेजों वाली सरकार नहीं चाहिए। नेता मुफ्त की रोटियां खा रहे हैं और गरीब तथा मिडिल क्लास के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा नहीं है। ऊपर से इतनी गुना फीस बढ़ाना कहा कि सोच है। ये सरकार मानसिकता है कि कोई गरीब या मिडल क्लास का लड़का पढ़-लिखकर दूसरा अंबेडकर न बन जाए। वह दिन आएगा जब एक नहीं, कई अंबेडकर पैदा होंगे।

एक अन्य यूजर ने सरकार को ‘तानाशाह’ बताते हुए लिखा कि छात्र सिर्फ फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

काफी संख्या में लोगों ने पुलिस द्वारा किए गए लाठी चार्ज को सही करार दिया। इन लोगों का कहना है कि बाकी यूनिवर्सिटी की तरह जेएनयू में भी फीस होनी चाहिए। एक यूजर ने तंज कसते हुए कहा, “लाठी चार्ज का नियमित प्रोग्राम बने और अचूक रूप से इसे लागू किया जाए। खासकर वरिष्ठ शोधकर्ताओं पर।

कई लोग दिल्ली पुलिस की सराहना करते हुए दिखाई दिए।

गौरतलब है कि 2017 के आंकड़े के मुताबिक जेएनयू में 40 फीसदी के करीब ऐसे छात्र पढ़ाई करते हैं, जिनके परिवार की मासिक आय 12,000 रुपये है। ऐसे में छात्र संगठन का कहना है कि फीस बढ़ोतरी से ऐसे परिवारों के बच्चों के लिए जेएनयू में पढ़ना मुश्किल हो जाएगा। हालांकि, जेएनयू प्रशासन गरीबी रेखा से नीचे परिवार वाले छात्रों को राहत देने की बात कही जा रही है। लेकिन, जेएनयू छात्र संघ हॉस्टल फीस बढ़ोतरी को पूरी तरह वापस लेने की मांग कर रहा है।
पुलिस द्वारा जेएनयू के प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किए जाने के सवाल पर जनसत्ता ने फेसबुक पेज पर एक पोल भी कराया। इसमें हजारों लोगों ने वोट दिया है और कमेंट भी लिखा है।

