प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में कुछ दिन पहले कोरोना का कहर काफी अधिक देखने को मिल रहा था लेकिन अब हालात में सुधार हो रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से काशी के कोविड कमांड सेंटर पर लगातार नजर रखी जा रही है। मरीजों को अगर किसी भी तरह की कोई परेशानी हो रही है तो पीएमओ की तरफ से अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं।
वाराणसी के हरीश चंद्र घाट पर सागर चौधरी शवों के अंतिम संस्कार का काम करते हैं। अभी उनके आसपास पांच शव मौजूद हैं। उन्होंने दो दशकों तक लोगों को अंतिम संस्कार करने में मदद की है। लेकिन उनका कहना है कि 10 दिन पहले उन्होंने जो देखा, उसे वह भूल नहीं सकते हैं। घाट पर एक इंच जगह भी नहीं बची थी, 60 शव पड़े हुए थे। शुरुआत में लकड़ी की कमी के के कारण एक दाह संस्कार के लिए लोगों को सात घंटे से भी अधिक समय तक इंतजार करना पड़ रहा था। लेकिन जो बात वास्तव में प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र को उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों से अलग बनाती है, वो है कोविड इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर। जिसका निर्माण घाटों से मात्र 3 किमी की दूरी पर किया गया है।
वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट कौशल राज शर्मा ने कहा कि कोविड इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, कोरोना संकट से लड़ने में अहम भूमिका अदा कर रहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि मैं अब यहां एक दिन में चार से पांच घंटे बिताता हूं, लेकिन जब ऑक्सीजन की कमी होती थी, तो हम यहां रात के 2 बजे तक बैठते थे। अस्पतालों से पैनिक कॉल आते थे। जिलाधिकारी ने कहा कि वाराणसी में कोरोना का पीक 14 से 23 अप्रैल के बीच था।
उन्होंने कहा कि पहले, हम कागज पर विवरण नोट करते थे। नई प्रणाली 25 दिन पहले विकसित की गई थी क्योंकि कॉल बहुत अधिक थी और हमारी देरी से मरीजों की मौत हो सकती थी। इसलिए हमने समय कम कर दिया। हमने प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया। प्रशिक्षित लोगों को काम के लिए लगाया गया। केंद्र सरकार भी ऑक्सीजन प्रबंधन से लेकर हर तरह से मदद कर रही है। शर्मा ने कहा कि प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से पूरी व्यवस्था पर कड़ी नजर रखता है। हर दूसरे दिन प्रधानमंत्री को एक रिपोर्ट भेजी जा रही है।
जिलाधिकारी ने कहा कि पीएमओ के सहयोग के कारण काम काफी आसान हुआ है। उदाहरण के लिए, मैंने अपने आपदा प्रबंधन कोष से 400 सिलेंडर मंगवाए। कंपनी ने पैसे ले लिए थे लेकिन पहुंचाया नहीं जा रहा था। पीएमओ ने दबाव बनाया और उन्होंने भेज दिया। शर्मा ने कहा कि हमें 2,000 अतिरिक्त रेमेडिसविर भी प्राप्त हुआ, जिसे हमने हर जगह वितरित किया। वाराणसी ने पूरे यूपी में सबसे ज्यादा रेमेडिसविर बांटे है। यह लखनऊ और नोएडा से भी ज्यादा है।
केंद्र ने अब तीसरी लहर की तैयारी शुरू कर दी है, तीन सरकारी अस्पतालों के लिए तीन ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित किए गए हैं जबकि चार अन्य पर काम जारी है। सरकारी तैयारियों से अलग घाट पर अप्रैल के घाव अभी भी ताजा हैं।