Sonia Gandhi: कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बार फिर मोदी सरकार को लेकर आरएसएस पर निशाना साधा है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद (NAC) को लेकर गांधी ने कहा कि यहां कोई दूसरा पावर सेंटर नहीं था, बल्कि प्रधानमंत्री को सलाह देने वाली एक कमेटी मात्र थी। सोनिया गांधी ने एक आने वाली किताब को लेकर सफाई दी है तो वहीं मौजदा केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप भी लगाए हैं।
बता दें, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष पर आरोप लगते रहे हैं कि वो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद की अध्यक्ष रहते हुए मनमोहन सिंह सरकार में महत्वपूर्ण फैसले लेती थीं। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार खुलेआम आरएसएस से निर्देश लेकर काम कर रही है। RSS ने तो भरोसेमंद है और न ही उसे जनता ने चुना है।
‘मोदी सरकार आरएसएस से ले रही निर्देश’
‘एन्हैंसिग पीपल्स राइड एंड फ्रीडम-NAC रीविजिटेड’ नाम के लेख में सोनिया गांधी ने लिखा कि यह बड़ी विडंबना है कि NAC के अपमानित किया गया, लेकिन मौजूदी मोदी सरकार लगातार अपनी नीतियों को लेकर लगातार आरएसएस से निर्देश लेती है। साल 2015 में केंद्रीय मंत्रियों ने अपनी नीतियों का पूरा खाका प्रस्तुत किया था। पीएम मोदी ने भी इसे मार्गदर्शन नाम दिया था। उन्होंने लिखा कि NAC की भूमिका बहुत सीमित थी। यह केवल प्रधानमंत्री को सुझाव दिया करती थी, बाकी फाइनल फैसला प्रधानमंत्री और सरकार ही लेती थी।
गांधी ने कहा कि जब एससी और एसटी के लिए अलग से बजट बनाने और गैरसंगठित क्षेत्र के लिए सोशल सिक्योरिटी का प्रेमवर्क बनाने का सुझाव NAC ने दिया था तो इसे लागू नहीं किया गया था। उन्होंने लिखा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद को भी कार्यकारी फैसला लेने में शामिल नहीं रहता था। बहुत ऐसे सुझाव दिए गए जिनको कभी लागू नहीं किया गया। यह केवल एडवाइजरी रोल में ही थी। गांधी ने कहा कि NAC को लेकर इस तरह की बातें इसलिए भी की गईं, क्योंकि उस वक्त इसकी अध्यक्ष कांग्रेस की अध्यक्ष ही थीं।
राष्ट्रीय योजना आयोग का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी ने कहा, ‘तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस ने फैसले लेने की संस्था का विकेंद्रीकरण करने के लिए NAC जैसी बॉडी बनाई थी। उन्होंने कहा कि अब एनडीए की सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय और मंत्रालय केवल रबर स्टंप बनकर रह गए हैं। संसदीय लोकतंत्र का मजाक बनाया जा रहा है। उन्होंने NAC की सफलताओं की लिस्ट बताते हुए कहा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, वन अधिकार कानून 2006 जैसे कानून एनएसी की सलाह के बाद बने थे।
सोनिया गांधी ने कहा कि एनडीए सरकार ने 2014 से लेकर 2019 तक 186 बिल पेश किए, जिनमें से 142 बिल पर कोई सलाह नहीं ली गई। केवल 44 बिलों को जनता के सुझाव के लिए रखा गया। इसके लिए भी केवल 30 दिनों का वक्त दिया गया था। जनता को फैसले लेने के अधिकार और सलाह लेने के अधिकार से वंचित कर दिया गया था। सरकार और नागरिकों के बीच का रिश्ता एकतरफा हो गया था।