लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की आज बरसी है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक संदेश लिखकर उन्हें याद किया है। वहीं बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने उनकी प्रतिमा लगाने और उनकी पुण्यतिथि और जयंती पर राजकीय समारोह करने की मांग की है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पत्र में लिखा, “देश के महान सपूत, बिहार के गौरव और सामाजिक न्याय की बुलंद आवाज रहे स्वर्गीय राम विलास पासवान जी को मैं अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। यह मेरे लिए बहुत भावुक दिन है। मैं आज उन्हें न केवल अपने आत्मीय मित्र के रूप में याद कर रहा हूं बल्कि भारतीय राजनीति में उनके जाने से जो शून्य उत्पन्न हुआ है, उसे भी अनुभव कर रहा हूं।”
पीएम ने आगे लिखा, “स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास में पासवान जी का हमेशा अपना एक अलग स्थान रहा। वे एक बहुत ही सामान्य पृष्ठभूमि से उठकर शीर्ष तक पहुंचे। लेकिन हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े। साठ के दशक में पासवान जी ने जब चुनावी राजनीति में कदम रखा था, उस समय देश का परिदृश्य बिल्कुल अलग था। तब देश की राजनीति मुख्य रूप से केवल एक राजनैतिक विचारधारा के अधीन थी, लेकिन पासवान जी ने अपने लिए एक अलग और कठिन रास्ता चुना।”
इसपर चिराग ने कहा कि पिता की बरखी के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश मिला है। इस संदेश में प्रधानमंत्री ने पिताजी के पूरे जीवन के सारांश को पिरो दिया है। समाज के लिए उनके योगदान का प्रधानमंत्री ने सम्मान किया है। चिराग ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उनके पिता के प्रति अपने स्नेह को प्रदर्शित किया है। यह पत्र उन्हें और उनके पूरे परिवार को दुख की इस घड़ी में शक्ति प्रदान करेगा। उन्होंने पीएम का स्नेह और आशीर्वाद सदैव बना रहने की कामना की है।
वहीं सुशील मोदी ने दिग्गज नेता को याद करते हुए कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बिहार के विकास और राष्ट्रीय राजनीति में जो बड़ी भूमिका निभाई, उसे देखते हुए पटना में उनकी प्रतिमा लगनी चाहिए। उन्होंने दलितों को आगे बढाने के लिए लगातार संघर्ष किया, लेकिन कभी नफरत की राजनीति नहीं की।
सुशील मोदी ने लिखा कि रामविलास पासवान एनडीए राजनीति के प्रमुख शिल्पी थे। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकारों में रह कर देश की सेवा की। रेल मंत्री के रूप में उनके योगदान को बिहार कभी नहीं भुला सकता। 1977 में आपातकाल हटने के बाद पहले संसदीय चुनाव में रामविलास पासवान ने सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीतने का रिकार्ड बनाया था। ऐसे लोकप्रिय नेता की पहली बरसी पर सभी दलों और वर्गों के लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।