पीएम नरेंद्र मोदी 30 मार्च को नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय का दौरा करेंगे। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद वह पहली बार RSS मुख्यालय जाएंगे। सूत्रों ने बताया कि पीएम मोदी उस दिन माधव नेत्रालय नेत्र संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र के भवन विस्तार की आधारशिला रखने के लिए नागपुर में रहेंगे और वह प्रमुख मोहन भागवत सहित संघ नेताओं के साथ विचार-विमर्श करने के लिए आरएसएस मुख्यालय भी जा सकते हैं।

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, माधव नेत्रालय ने सोमवार को एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अलावा शिलान्यास समारोह में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी शामिल होंगे। पीएम मोदी और संघ नेताओं के बीच बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा को जल्द ही एक नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने वाला है जो इस साल शुरू होने वाले और 2026 तक चलने वाले राज्य चुनावों के अगले दौर में पार्टी का नेतृत्व करेगा।

लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के आरएसएस के साथ संबंधों में तनाव

पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के आरएसएस के साथ संबंधों में तनाव देखा गया था। 17 मई को इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक इंटरव्यू में , वर्तमान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने और मोदी के कार्यकाल के दौरान पार्टी के साथ आरएसएस के संबंधों में आए बदलाव के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था, “शुरू में हम अक्षम थे, थोड़ा कम रहे होंगे, आरएसएस की जरूरत पड़ती थी। आज हम बड़े हो गए हैं और हम सक्षम हैं इसलिए भाजपा खुद चलती है, यही अंतर है।”

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इन सभी विवादों के बीच भाजपा और आरएसएस दोनों के नेताओं ने कहा कि ये मुद्दे मुख्य रूप से संवादहीनता के कारण थे और इन्हें सुलझा लिया गया है, लेकिन माना जाता है कि चुनाव प्रचार के दौरान संघ द्वारा पार्टी से दूरी बनाए रखना भाजपा के उम्मीद से कम प्रदर्शन करने और बहुमत से काफी दूर रह जाने का एक कारण रहा।

RSS मुख्यालय में संघ के शीर्ष नेताओं के साथ PM मोदी की बैठक

चुनावों के बाद, भाजपा नेतृत्व ने अंतर को कम करने के लिए अतिरिक्त प्रयास किए, जिसके बाद संघ ने भी सभी महत्वपूर्ण राज्यों के चुनावों के लिए पूरी ताकत झोंक दी। भाजपा ने दो लगभग असंभव जीत हासिल की हरियाणा और महाराष्ट्र और दिल्ली में एक बड़ी जीत ।

आरएसएस मुख्यालय में संघ के शीर्ष नेताओं के साथ PM मोदी की बैठक किसी भी तरह की उलझन को सुलझाने की दिशा में एक और कदम हो सकती है। इसी तरह की एक पिछली बैठक सितंबर 2015 में हुई थी, जब मोदी और भागवत राष्ट्रीय राजधानी में 93 शीर्ष आरएसएस-भाजपा नेताओं की समन्वय समिति की बैठक में शामिल हुए थे।

हाल के दिनों में प्रधानमंत्री ने आरएसएस की प्रशंसा करते हुए इसकी राष्ट्रीय उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्धता और स्वयंसेवकों के समर्पण की सराहना की थी। रविवार को पोस्ट किए गए एमआईटी रिसर्चर लेक्स फ्रिडमैन के साथ अपने पॉडकास्ट में मोदी ने कहा कि संघ जैसा संगठन अद्वितीय है और संभवतः दुनिया में कहीं और मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा, “आरएसएस के माध्यम से मुझे उद्देश्यपूर्ण जीवन मिला।” वहीं, पिछले महीने 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए मोदी ने नई पीढ़ी के बीच भारत की महान परंपराओं और संस्कृति को जीवित रखने का श्रेय आरएसएस को दिया था। पढ़ें- देशभर के मौसम का हाल