झारखंड के कुछ आदिवासी लोगों की मांग है कि उनके आदि धर्म ‘सरना’ को मान्यता दी जाए। इसके लिए वे वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। अब वे अपनी मांग को जोरदार तरीके से रखने और इस पर सरकार की मुहर लगवाने के लिए आंदोलन का रुख कर लिए हैं। आदिवासी कार्यकर्ताओं ने शनिवार को धमकी दी कि अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 नवंबर को अपनी प्रस्तावित झारखंड यात्रा के दौरान उनके सरना धर्म को मान्यता देने की लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर कोई घोषणा नहीं करते हैं तो वे आत्मदाह कर लेंगे।

‘आदिवासी सेंगेल अभियान’ कार्यकर्ताओं ने उपवास करने का ऐलान किया

‘आदिवासी सेंगेल अभियान’ (एएसए) के अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि कार्यकर्ता मांग के समर्थन में उस दिन झारखंड और अन्य राज्यों में सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक उपवास रखेंगे। मोदी का 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती और झारखंड स्थापना दिवस पर राज्य के खूंटी जिले में मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू जाने का कार्यक्रम है। मुर्मू ने कहा कि चेतावनी एएसए के दो कार्यकर्ताओं द्वारा जारी की गई थी, लेकिन उपवास के बारे में निर्णय स्वतंत्र रूप से लिया गया है।

अध्यक्ष और पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा- केंद्र सरकार अपना रुख साफ करे

पूर्व सांसद मुर्मू ने कहा, “हम उम्मीद कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री अलग ‘सरना’ धर्म को मान्यता देने की हमारी लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर कोई घोषणा करेंगे… अगर वह हमारी मांग पर केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट नहीं करते हैं, तो दोनों कार्यकर्ताओं ने शाम 4 बजे उलिहातु और बोकारो में आत्मदाह करने का फैसला किया है।” 

क्या है सरना धर्म और कौन हैं ये लोग

भारत में विभिन्न तरह के धर्म और परंपराओं का मानने वाले और अनुयायी रहते हैं। ऐसे कई धर्म हैं, जिनके उपासक बहुत कम संख्या में हैं, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में वह अपनी धर्म और परंपरा की रक्षा करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इन्हीं में से एक सरना धर्म है, जो प्रकृति में आस्था रखते हैं और पेड़, पौधे, पहाड़ आदि की पूजा करते हैं।

इनके अनुयायी खास तौर पर छोटा नागपुर के पठारी भागों, झारखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, असम और महाराष्ट्र में रहते हैं। भारत के बाहर ये नेपाल, भूटान, बांग्लादेश में भी कुछ संख्या में हैं। ये मूल रूप से आदिवासी लोग हैं और जंगलों में रहते हैं। ये खुद को मुंडा, संथाल, भूमिज, उरांव, गोंड, भील आदि उपजातियों में बांटे हुए हैं।