New Parliament Inauguration: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (28 मई, 2023) को नए संसद भवन का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने नए संसद भवन की खासियत भी बताई। प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों के नेताओं के उस सवाल का भी जवाब दिया। जिसमें विपक्षी दल के कई नेता नई संसद भवन को लेकर सवाल उठा रहे थे। विपक्षी दलों के कई नेताओं ने पूछा था कि अभी नए संसद भवन की जरूरत नहीं थी। पुराने संसद भवन का ही विस्तार किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘संसद के पुराने भवन में सभी के लिए अपने कार्यों को पूरा करना कितना मुश्किल हो रहा था, ये हम सभी जानते हैं। वहां, तकनीकी समस्या, बैठने से जुड़ी चुनौतियां थीं, इसलिए नए संसद भवन की आवश्यकता की बात हो रही थी।

आने वाले वक्त में बढ़ेगी सांसदों की संख्या: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने सांसदों की संख्या बढ़ने का भी जिक्र किया। मोदी ने कहा, ‘आने वाले वक्त में सांसदों की संख्या बढ़ेगी तो वो कहां बैठते। नए संसद भवन का निर्माण समय की मांग को देखते हुए किया गया है। उन्होंने कहा कि यह इमारत पूरी तरह से आधुनिक सुविधाओं से लैस है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते हैं। नया भारत नए लक्ष्य तय कर रहा है। आज एक बार फिर से पूरा विश्व को भारत और उसकी दृढ़ता को आदर और उम्मीद के भाव से देख रहा है। उन्होंने कहा कि जब भारत आगे बढ़ता है तो विश्व आगे बढ़ता है। संसद का यह नया भवन भारत के विकास से विश्व के विकास का आह्वान करेगा। यह नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को साकार करने का साधन बनेगा।

नए संसद भवन को लेकर नीतीश कुमार ने उठाए थे सवाल

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नए संसद भवन को लेकर सवाल उठाए थे। नीतीश कुमार ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर होते हुए कहा था कि नए संसद भवन की जरूरत नहीं थी। अगर जरूरत थी तो पुराने भवन को ही और अधिक विकसित कर देना चाहिए था। नीतीश कुमार ने मोदी सरकार पर इतिहास बदलने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सब कुछ बदल देना चाहती है। वह पूरा इतिहास बदलने जा रही है।

सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने दिया यह तर्क

उत्तर प्रदेश के संभल से सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने भी नए संसद भवन को लेकर सवाल खड़े किए थे। शफीकुर्रहमान ने कहा था कि मुझे नहीं लगता कि नई संसद बनाने की कोई आवश्यकता थी। पुराने वाली संसद में सभी सुविधाएं हैं। हमें उसी का उपयोग करना चाहिए था। हमारी अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है। ऐसे में वह पैसा समाज के गरीब और वंचित वर्गों की मदद पर खर्च किया जा सकता था।’