परोक्ष करों में महत्त्वपूर्ण सुधारों के प्रावधानों वाले जीएसटी विधेयक के संसद के मौजूदा सत्र में पारित नहीं होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को प्रदेशों के हितों के प्रभावित होने पर चिंता जताई। मोदी ने कहा कि इसके पारित होने से राज्यों को सीधे सीधे लाभ पहुंचता। राज्यसभा में सेवानिवृत्त होने जा रहे सदस्यों को दिए जाने वाले विदाई भाषण में मोदी ने यह बात कही। उन्होंने सेवानिवृत्त होने जा रहे सदस्यों से कहा- आपके योगदान, हस्तक्षेप से वर्तमान सत्र में सुधार के महत्त्वपूर्ण निर्णय हुए हैं। उन्होंने कहा कि दो चीजों का गिला शिकवा आपको जरूर रहेगा। यदि राज्य के रूप में देखें तो अच्छा होता कि आपके रहते, आपकी मौजूदगी में दो ऐसे निर्णय होते तो जिस राज्य का आप प्रतिनिधित्व करते हैं, वह राज्य हमेशा के लिए गर्व का अनुभव करते। जीएसटी से बिहार का भरपूर लाभ होने वाला था। उत्तर प्रदेश का भरपूर लाभ होने वाला था। उन्होंने कहा कि एक दो राज्यों को छोड़कर शेष राज्यों को भरपूर लाभ होने वाला था। किंतु अब सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को इसमें योगदान देने का मौका नहीं मिलेगा।
रिटायर हो रहे सांसदों में कुछ बड़े नाम शामिल हैं। इनमें वेंकैया नायडू, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण, वाईएस चौधरी और मुख़्तार अब्बास नक़वी कुल पांच मंत्री भी शामिल हैं। जयराम रमेश और हनुमंत राव समेत कांग्रेस के कुल 16 सांसद रिटायर हो रहे हैं। चुनाव आयोग द्वारा तय की गई 15 राज्यों के कुल 57 सांसदों के चुनाव की प्रक्रिया के तहत 24 मई से पर्चे भरने का काम शुरू होगा और 11 जून को वोटिंग होगी और उसी दिन नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे। सबसे ज़्यादा 11 सीटें यूपी में खाली हो रही हैं, वहीं बिहार से पांच सांसद रिटायर हो रहे हैं। इसके अलावा तमिलनाडु और महाराष्ट्र में 6-6 सीटें खाली हो रही हैं। आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान में भी 4-4 सीटों पर चुनाव होगा। झारखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा और तेलंगाना से दो-दो सीटें खाली हो रही हैं।
उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले सत्र में जीएसटी विधेयक पारित हो जाएगा। आप में से जो वापस आएंगे, मुझे विश्वास है कि उनके हाथों से ही उनके राज्य के हित के लिए महत्त्वपूर्ण काम होगा। उल्लेखनीय है कि वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है। किंतु यह राज्यसभा में लंबित है। प्रधानमंत्री ने संसद के मौजूदा सत्र में राष्ट्रीय मुआवजा वनीकरण कोष प्रबंधन और नियोजन प्राधिकरण (कांपा) गठित करने संबंधित विधेयक भी पारित नहीं होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा- दूसरा महत्वपूर्ण काम कांपा का है। इससे पहले उन्होंने राज्यसभा में सेवानिवृत्त होने वाले सदस्यों को विदाई की परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा- हम ही हमारे अपनों को विदाई दे पाते हैं और स्वागत भी कर पाते हैं। यह सौभाग्य लोकसभा को नहीं है।
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सेवानिवृत्त होने वाले सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि हमारी शुभकामनाएं यहां से जो निवृत्त होकर जा रहे हैं, उन्हें सार्वजनिक जीवन से निवृत्त होने के लिए नहीं बल्कि अधिक प्रवृत्त होने की ताकत देती है। सेवानिवृत्त होने वाले सदस्यों को दो सरकारों के साथ काम करने का अवसर मिला। पिछली सरकार के साथ ज्यादा और इस सरकार के साथ कुछ कम। किंतु दोनों सरकारों को आपके अनुभवों का लाभ मिला। उन्होंने कहा- यहां हम जब आते हैं तो हमारे विचारों की सीमा होती है। यहां हम देश के हर कोने के लोगों, विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों के साथ बैठते हैं जिससे हमारे सोचने का दायरा बहुत विशाल हो जाता है। हम सदन में आते समय जो होते हैं, सदन से जाते समय बहुत कुछ और हो जाते हैं। और यह जो बहुत कुछ और होते हैं, वह राष्ट्र की समाज की पूंजी बनता है।
मोदी ने सेवानिवृत्त होने वाले सदस्यों के समाज में योगदान के लिए निरंतर काम करते रहने की उम्मीद जताई और सरकार द्वारा उन्हें इसके लिए पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि सदन से जाने के बाद यह सरकार आपके लिए उसी तरह काम करने को तत्पर रहेगी जिस प्रकार से एक सदस्य के तौर पर आपका हक बनता है। इसलिए जाने के बाद जहां तक सरकार का मसला है, आपका वही हक बना रहेगा। उन्होंने कहा- मैं भी चाहूंगा कि आप इस हक का भरपूर लाभ उठाएं और समाज के हित के लिए आपकी शक्ति और अनुभव का योगदान मिलता रहे। उन्होंने यह भी कहा कि सेवानिवृत्त होने वाले सदस्यों के योगदान और हस्तक्षेप से वर्तमान सत्र में सुधार के कई महत्त्वपूर्ण निर्णय हुए हैं।