PM Modi Meditate Vivekananda Rock Memorial: लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के लिए प्रचार खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को तमिलनाडु के कन्याकुमारी पहुंचे। प्रधानमंत्री समुद्र तट पर देवी कन्याकुमारी को समर्पित 108 शक्तिपीठों में से एक ऐतिहासिक श्री भगवति अम्मन मंदिर गए और पूजा अर्चना की। मोदी केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर से यहां सरकारी गेस्ट हाउस के अंदर बनाए गए हेलीपैड पर उतरे थे।
जानकारी के मुताबिक, भगवती अम्मन मंदिर में पूजा करने के बाद पीएम मोदी शाम 6 बजकर 45 मिनट पर ध्यान अवस्था में बैठे। अब प्रधानमंत्री 45 घंटे तक ध्यान अवस्था में रहेंगे। इन 45 घंटों तक उनका आहार केवल नारियल पानी, अंगूर का रस और अन्य तरल पदार्थ होगा। वह ध्यान कक्ष से बाहर नहीं निकलेंगे और मौन रहेंगे।
इससे पहले मंदिर के पुजारियों ने प्रधानमंत्री पारंपरिक तरीके से स्वागत किया। भगवान की विशेष पूजा की गई। पारंपरिक वेष्टि (धोती) और अंगवस्त्रम पहने प्रधानमंत्री ने पीठासीन देवता की पूजा करने के बाद गर्भ ग्रह की परिक्रमा की। मंदिर प्रशासन की ओर से प्रधानमंत्री मोदी को देवी भगवती अम्मन का चित्र भेंट किया गया।
पीएम मोदी अपना ध्यान सत्र पूरा करने के बाद विवेकानंद रॉक मेमोरियल के पास तमिल संत तिरुवल्लुवर की प्रसिद्ध प्रतिमा देखने जाने की संभावना है। आध्यात्मिक दौरा होने की वजह से भाजपा नेताओं को मोदी की अगवानी करने या उनके साथ जाने की अनुमति नहीं दी गई। प्रधानमंत्री की यात्रा के मद्देनजर कन्याकुमारी में बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया गया है।
कन्याकुमारी के समुद्र तट पर सुरक्षा का कड़ा पहरा
भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक जहाजों को तट रेखा के करीब जल में 24 घंटे गश्त के लिए तैनात किया गया है। पुलिस कड़ी निगरानी रख रही है। सुरक्षा उपायों के तहत कन्याकुमारी तट पर मछुआरों को तीन दिनों तक मछली पकड़ने की गतिविधियों से रोक दिया गया है।
ऐसा माना जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने समुद्र के बीच चट्टान पर 3 दिन और रात ध्यान किया था, जब तक कि उन्हें ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो गई थी। स्वामी विवेकानंद के सम्मान में 1970 में बनाया गया यह स्मारक हर साल देश विदेश से लाखों पर्यटक को आकर्षित करता है।
गौरतलब है कि यह वही स्थान है जहां स्वामी विवेकानंद ने 1992 में ध्यान किया था। रॉक मेमोरियल स्मारक का निर्माण स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने देश भर में भ्रमण करने के बाद यहां तीन दिनों तक ध्यान किया था और विकसित भारत का स्वप्न देखा था।
पीएम मोदी की 33 साल पुरानी तस्वीरें भी हुई वायरल
पीएम मोदी की कन्याकुमारी यात्रा से पहले इस प्रतिष्ठित स्थान से जुड़ी उनकी 33 साल पुरानी तस्वीर गुरुवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुई और चर्चा का विषय बन गई।
जानकारी के अनुसार, सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर 11 दिसंबर 1991 में आयोजित ‘एकता यात्रा’ की हैं। यह यात्रा कन्याकुमारी में प्रतिष्ठित विवेकानंद रॉक मेमोरियल से शुरू हुई थी और कश्मीर में समाप्त हुई थी। वायरल तस्वीरों में मोदी और पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी सभी ‘एकता यात्रियों’ को स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा और श्रद्धांजलि अर्पित करते देखा जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि यात्रा दिसंबर 1991 में कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर स्थित ऐतिहासिक लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने के साथ समाप्त हुई थी। एकता यात्रा का नेतृत्व मुरली मनोहर जोशी ने किया था।
मोदी ने इस यात्रा के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाई थी। इस यात्रा का लक्ष्य दुनिया को यह संदेश देना था कि भारत आतंकवादियों के खिलाफ मजबूती से खड़ा रहेगा और एकजुट रहेगा। देश के 14 राज्यों से गुजरी यह यात्रा लोगों के दिलों में गहराई से उतरी और राष्ट्रीय एकता के प्रति देश की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाया था।
2014, 2019 में भी चुनाव के बाद की थी मोदी ने आध्यात्मिक यात्रा
बता दें, प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद इसी तरह की आध्यात्मिक यात्रा की थी। उस समय वह उत्तराखंड पहुंचे थे और केदारनाथ मंदिर के पास एक गुफा में ध्यान लगाया था। इससे पहले 2014 में चुनाव प्रचार समाप्त करने के बाद मोदी महाराष्ट्र के सतारा जिले के प्रतापगढ़ दुर्ग गए और भगवान शिव के मंदिर में ध्यान लगाया था।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल (Vivekananda Rock Memorial) खास क्यों?
- विवेकानंद रॉक मेमोरियल एक स्मारक और एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जो वावथुराई की मुख्य भूमि से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित है और एक बड़ी चट्टान पर स्थित, यह तीन जल निकायों – अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर से घिरा हुआ है।
- कहा जाता है कि विवेकानंद देश भर में भ्रमण करने के बाद यहीं पहुंचे थे। ऐसा माना जाता है कि विवेकानंद ने इसी चट्टान पर ध्यान लगाया था और विकसित भारत का सपना देखा था।
- यह मेमोरियल प्रसिद्ध वास्तुकार एकनाथ रानाडे द्वारा डिजाइन किया गया, जो 1970 में बनकर तैयार हुआ। यह स्मारक भारत के सबसे दक्षिणी छोर कन्याकुमारी में स्थित है। यह वह जगह है जहां भारत की पूर्वी और पश्चिमी तट रेखाएं मिलती हैं, जिससे अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर का एक अद्भुत मिलन बिंदु बनता है।
- स्मारक में दो मुख्य संरचनाएं हैं: विवेकानंद मंडपम, जिसमें स्वामी विवेकानंद की एक प्रभावशाली कांस्य प्रतिमा है, और श्रीपाद मंडपम, जिसमें देवी कन्याकुमारी के पदचिह्न हैं। इस स्थल का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है, यहां देवी कन्याकुमारी द्वारा इस चट्टान पर भगवान शिव से प्रार्थना करने की पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
- इतना ही नहीं, यह खूबसूरत स्मारक तमिल कवि और दार्शनिक थिरुवल्लुवर की एक विशाल अखंड प्रतिमा के ठीक बगल में है। भारतीय मूर्तिकार वी गणपति स्थपति द्वारा बनाई गई यह प्रतिमा 41 मीटर ऊंची है, जिसकी पृष्ठभूमि में गहरा नीला आकाश और चमकता समुद्र है।
- भाजपा पदाधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अपने आध्यात्मिक प्रवास के लिए कन्याकुमारी को चुनने का निर्णय देश के लिए विवेकानंद के दृष्टिकोण को साकार करने की उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
- पार्टी के एक नेता ने कहा, “कन्याकुमारी जाकर प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रीय एकता का संकेत दे रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह तमिलनाडु के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता और लगाव को भी दर्शाता है। “उसी स्थान पर ध्यान लगाना स्वामी जी के विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”