जम्मू और कश्मीर पर नरेंद्र मोदी सरकार के हालिया फैसले से पाकिस्तान बुरी तरह तिलमिलाया हुआ है। बुधवार (सात अगस्त, 2019) को उसने इसी बौखलाहट में न केवल भारत से राजनयिक रिश्ते तोड़ लिए, बल्कि द्विपक्षीय कारोबार भी निलंबित कर दिया। पाकिस्तान अब कश्मीर को राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बनाने के भारत सरकार के निर्णय का विरोध करते हुए यह मसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में उठाएगा। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि भारत ने इस पर प्रतिक्रिया में कहा है कि पाकिस्तान को अपने देश में पहले आतंकवाद पर लगाम लगानी चाहिए। वह अपनी कमियां छिपाने के लिए झूठ न बोले। पाक की हालिया कार्रवाई से निराशा की बू आती है।
दरअसल, इस्लामाबाद में आज पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की एक बैठक हुई। मीटिंग में भारत में अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने से जुड़े मोदी सरकार के कदम पर इस समिति ने तीन अहम फैसले लिए। पहला- पाकिस्तान पड़ोसी मुल्क (इंडिया) के साथ राजनयिक संबंध घटा देगा। दूसरा- वह भारत संग द्विपक्षीय कारोबार का निलंबन कर देगा, जबकि तीसरा- पाकिस्तान द्विपक्षीय आयोजनों की समीक्षा करेगा।
पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने टीवी पर टिप्पणी की, “हम अपने राजदूत को दिल्ली से वापस बुलाएंगे और भारतीय राजदूत को वापस भेज रहे हैं।” इससे कुछ देर पहले, पाकिस्तानी मंत्री फवाद चौधरी ने कहा था कि उनके देश को भारत से राजनयिक संबंध खत्म कर लेने चाहिए। कश्मीर के हालात पर बुलाए गए संसद के संयुक्त सत्र में वह बोले- भारतीय उच्चायुक्त यहां क्यों हैं? हम राजनयिक संबंध समाप्त क्यों नहीं कर रहे हैं।
बकौल चौधरी, “जब दोनों देशों के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं है तो हमारे उच्चायुक्त वहां (भारत में) क्या कर रहे हैं? जब कोई राजनयिक संबंध नहीं है तो हम राजनयिकों पर पैसे खर्च क्यों कर रहे हैं? हमें भारत के साथ राजनयिक संबंध खत्म कर देना चाहिए।”
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बता दें कि मंगलवार (छह अगस्त, 2019) को मोदी सरकार ने कश्मीर के मुद्दे पर ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की। एक दिन पहले (पांच अगस्त) राज्यसभा से पास होने के बाद संसद के निचले सदन लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पारित हुआ।
यह बिल न सिर्फ अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करता है, बल्कि जम्मू-कश्मीर को राज्य के बजाय केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देता है। हालिया बिल के जरिए जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में तब्दील हो जाएगा।
बिल पारित होने के बाद भी पाक बौखलाया था और उसकी झलक पीएम इमरान खान की त्वरित टिप्पणी में दिखी थी। उन्होंने कल कहा था कि यह सरकार का फैसला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का एजेंडा है। अगर यही स्थिति रही तो भारत में एक और पुलवामा हो सकता है। इमरान ने इस दौरान भी यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाने की गीदड़भभकी भरी थी।