पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि से मोदी सरकार पर पेट्रोल और डीजल के दाम को नियंत्रित करने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। केंद्र की ओर से कीमतों को नियंत्रित करने को लेकर अभी तक किसी तरह का ठोस पहल नहीं किया गया है। लेकिन, अब पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान से फौरी राहत की उम्मीद जगी है। उन्होंने भुवनेश्वर में कहा, ‘पेट्रोलियम मंत्रालय का मानना है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी लाने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के दायरे में लाया जाए। उस वक्त तक के लिए हमलोग त्वरित समाधान के तौर-तरीकों पर विचार कर रहे हैं।’ बता दें कि दिल्ली में पेट्रोल 77.47 रुपये और मुंबई में 85.29 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बिक रहा है। डीजल की कीमतों में भी तेजी का रुख है। दिल्ली में एक लीटर डीजल 68.53 और मुंबई में 72.96 रुपये के हिसाब से बिक रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण घरेलू बाजार पर भी इसका असर देखा जा रहा है।
केंद्र सरकार ने पहली बार पेट्रोलियम उत्पादों में वृद्धि से उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने के लिए तात्कालिक तौर पर कदम उठाने की बात कही है। इससे पहले केंद्रीय परिवहन एवं भूतल मंत्री नितिन गडकरी ने सरकार द्वारा पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतों में दखल देने से इनकार किया था। उन्होंने 23 मई को कहा था कि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए यदि सब्सिडी दी जाएगी तो सरकार के पास सामाजिक कल्याण से जुड़े कार्यक्रमों के लिए पैसे खर्च करने की क्षमता प्रभावित होगी। गडकरी ने कहा था कि भारत सीधे तौर पर वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ गया है, ऐसे में तेल के दाम में वृद्धि अपरिहार्य हो गया है। केंद्रीय मंत्री ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए कहा, ‘यह न टाले जाने वाली आर्थिक स्थिति है। यह (पेट्रोलियम उत्पाद) सीधे तौर पर वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। यदि हमलोग पेट्रोल और डीजल को सस्ते में बेचेंगे तो इसका मतलब यह हुआ कि हम पेट्रोलियम उत्पादों को महंगे में खरीदें और भारत में उस पर सब्सिडी दें।’ मालूम हो कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर राजनीति भी शरू हो चुकी है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल इसको लेकर भाजपा सरकार पर हमलावर हैं।