पेगासस प्रकरण में विपक्ष का सीधे सवालों का जवाब देने से मोदी सरकार गुरेज कर रही है। नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वही कहा जो 2019 में रविशंकर प्रसाद बोले थे। फोन टैपिंग विवाद पर वैष्णव ने लोकसभा में बयान दिया कि जासूसी के आरोप गलत हैं। उन्होंने कहा कि लीक डेटा का जासूसी से कोई लेना देना नहीं है।

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि डेटा से ये साबित नहीं होता कि सर्विलांस हुआ है। उन्होंने कहा कि फोन टैपिंग को लेकर सरकार का रवैया बेहद सख्त है। वैष्णव ने कहा कि एक वेब पोर्टल पर एक सनसनीखेज खबर प्रकाशित की गई। खबर में कई बड़े आरोप लगाए गए। ये रिपोर्ट संसद के मानसून सत्र से महज एक दिन पहले आई। ये कोई संयोग नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि ये भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने साफ किया कि इस जासूसी कांड से सरकार का कोई लेना देना नहीं।
PK ने 5 बार बदला हैंडसेट, पर फिर भी होती रही जासूसी
राहुल गांधी, PK समेत दो केंद्रीय मंत्री भी पेगासस के निशाने पर

पेगासस मामले में हैरत में डालने वाले खुलासे हो रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी सरकार के खासे निशाने पर रहे थे। एक रिपोर्ट के अनुसार राहुल गांधी के दो नंबरों की 2018 के मध्य से 2019 तक जासूसी कराई गई। उस दौरान आम चुनाव चल रहे थे। राहुल के दो करीबियों अलंकार सवई और सचिन राव के नंबरों को भी सर्विलांस पर रखा गया था। यानि हर बात जानने की कोशिश हुई।

प्रशांत किशोर में भी सरकार को खासी दिलचस्पी रही। पीके ने 2014 में मोदी को पीएम बनाने के लिए रणनीति तैयार की थी। लेकिन उसके बाद उनके पसंदीदा लोगों में ज्यादातर बीजेपी के धुर विरोधी नेता ही रहे हैं। ममता की हालिया जीत में वो कारक रहे थे। बीजेपी इससे खासी नाराज है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को भी टारगेट किया गया है। अभिषेक ने तंज कसते हुए कहा कि तमाम हथकंडों के बाद भी अमित शाह बीजेपी की हार नहीं टाल सके।

आईटी मंत्री अश्वनि वैष्णव के साथ केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की भी निगरानी कराई जा रही थी। वैष्णव के दो नंबरों के साथ उनकी पत्नी का फोन भी सर्विलांस पर था। अश्वनि वैष्णव का नंबर 2017 में निशाने पर था। हालांकि, उस समय वो न तो मंत्री थे और न ही सांसद। उस दौरान वो बीजेपी के सदस्य भी नहीं बने थे।

लीक लिस्ट से पता चला है कि केवल प्रहलाद पटेल का नंबर ही नहीं बल्कि उनकी पत्नी और उनसे जुड़े 15 और लोगों के नंबर भी निगरानी पर थे। इनमें उनके कुक और माली का नंबर भी शामिल है। ये फोन 2019 में तब निगरानी में लिए गए जब मंत्री के बेटे व भतीजे को हत्या के प्रयास के मामले में हिरासत में लिया गया था।

वसुंधरा के साथ स्मृति के नजदीकी की भी जासूसी

राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के नजदीकी प्रदीप अवस्थी का नंबर भी सर्विलांस पर था। यही नहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खासमखास अफसर संजय काचरू के फोन की भी सरकार ने जासूसी कराई थी। उनके पिता और बेटे के नंबर भी 2018 से निशाने पर थे। विहिप के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया के फोन की निगरानी की बात लीक लिस्ट में कही गई है।

अशोक लवासा की भी जासूसी कराई

सरकार ने चुनाव आयुक्त रहे अशोक लवासा की भी जासूसी कराई। पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मोदी और अमित शाह के खिलाफ शिकायतों पर चुनाव आयोग के फैसले पर असहमति दी थी। उन्होंने चुनाव आयोग की बैठकों में भाग लेना भी बंद कर दिया था। उनका कहना था कि उनकी बात नहीं सुनी जाती है। वो भी सरकार के निशाने पर थे। एडीआर के फाउंडर जगदीप छोक्कर, वायरोलॉजिस्ट गगनदगीप कंग, बिल गेट्स फाउंडेशन के हरि मेनन की जासूसी कराई गई।

राजनयिक भी सरकार के निशाने पर थे

फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 50 हजार नंबरों का पता लगाया था। इनमें पाकिस्तान, चीन, ईरान, अफगानिस्तान, सऊदी अरब, नेपाल के अंबेसडर भी निशाने पर थे। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के साथ भारत में मौजूद उनके राजनयिक निशाने पर रहे। कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की भी जासूसी की बात लीक लिस्ट में सामने आई है।

पूर्व सीजेआई पर आरोप लगाने वाली भी निगरानी में

द वायर की लीक लिस्ट से पता चला है कि पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई पर आरोप लगाने वाली महिला भी निगरानी में थी। उनके तीन व परिवार से जुड़े लोगों के 8 नंबर उस दौरान निगरानी में थे जब ये मामला सामने आया था। महिला के एक रिश्तेदार का कहना है कि उन्हें कभी नहीं लगा कि कोई उनकी जासूसी करा रहा है। महिला के पति व देवर दिल्ली पुलिस में थे। 2018 से वो सस्पेंड हैं। महिला ने अपनी 28 पेज की रिपोर्ट में गोगोई पर आरोप लगाया था कि 10, 11 अक्टूबर को उसके साथ रेजीडेंस ऑफिस में छेड़खानी की गई थी। गोगोई फिलहाल बीजेपी से राज्यसभा सांसद हैं।

विपक्ष के हमले पर शाह ने समझाई क्रोनोलॉजी

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी, मल्लिकार्जुन खड़गे, मनीष तिवारी समेत कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन भी सरकार पर खासे हमलावर हैं। उनका सवाल है कि पेगासस की खरीद के लिए करोड़ों रुपये पीएम या गृहमंत्री, किसके इशारे पर खर्च किए गए। कांग्रेस ने इस मसले पर गृहमंत्री शाह से इस्तीफे की मांग की है। उधर, गृह मंत्री अमित शाह ने क्रोनोलॉजी का हवाला दे कहा है कि ये भारत को बदनाम कर विकास को बाधित करने की साजिश है। कांग्रेस बेवजह इसे मुद्दा बनाकर देश को बदनाम करना चाहती है।