विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन संबंधी मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने शुक्रवार (7 अगस्त, 2020) को भाजपा-एनडीए के कुछ सदस्यों की आपत्तियों के बावजूद एक बैठक में पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) 2020 अधिसूचना के मसौदे पर चर्चा शुरू की। पता चला है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों ने तर्क दिया कि मामले में चर्चा की जरुरत नहीं है क्योंकि ये सिर्फ एक ड्राफ्ट अधिसूचना है जिसे परिवर्तन से गुजरना होगा।

हालांकि भाजपा-एनडीए सदस्यों ने कहा कि पर्यावरण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है मगर सुझाव दिया कि कमिटी इसके जारी होने के बाद फाइनल ड्राफ्ट पर चर्चा कर सकती है। सत्तारूढ़ सदस्यों ने ये भी मुद्दा उठाया कि मसौदा अधिसूचना की हिंदी कॉपी उन्हें उपलब्ध भी नहीं कराई गई थीं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश इस समिति के अध्यक्ष हैं और विरोध के बावजूद वो चर्चा को आगे बढ़ाने में कामयाब रहे। पैनल ने सुझाव दिया कि तुरंत रिपोर्ट या सिफारिश नहीं दी जाएगी और समिति के सदस्यों को मंत्रालय के प्रतिनिधियों को सुनना चाहिए जो उन्हें विवरण देने आए थे।

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बैठक में मंत्रालय के अधिकारियों ने डिटेल में प्रेजेंटेशन दिया जिसके बाद सदस्यों ने कुछ सवाल उठाए। पता चला है कि बैठक में कुछ सदस्यों ने प्रर्वतन की कमी के बारे में चिंता जताई। बैठक में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी और एनसीपी की राज्यसभा सांसद वंदना चव्हाण ने भी सवाल उठाए। बैठक में ओवैसी ने कहा कि ईआईए के मौसम में मौजूदा मानदंडों और मानकों को हल्का किया गया है।

ओवैसी ने कहा कि मसौदा प्रभावित लोगों को संकीर्ण रूप से परिभाषित करके बड़ी परियोजनाओं के लिए नागरिकों के अधिकारों को छीन लेता है। उन्होंने ये भी कहा कि उन लोगों को पूर्वव्यापी मंजूरी देना जिन्होंने बिना मंजूरी के परियोजनाएं विकसित कीं, वेतन और प्रदूषित सिद्धांत का मार्ग प्रशस्त करेगा।