अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपी रिपोर्ट के बाद देशभर में विपक्ष फेसबुक और भाजपा के रिश्तों पर सवाल उठा रहा है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व वाले सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) पैनल ने इस मामले में फेसबुक के इंडिया हेड को तलब भी किया है। हालांकि, उन्हें संसदीय समिति में शामिल अपने साथियों के ही विरोध का सामना करना पड़ा है। भाजपा सांसदों ने थरूर की ओर से उठाए गए कदमों पर सवाल उठाए हैं। साथ ही आरोप लगाया है कि मीडिया अटेंशन के लायक मामलों को उठाने की वजह से उन्होंने अब तक रिपोर्ट नहीं जमा की है।

भाजपा के एक सांसद निशिकांत दुबे ने तो थरूर के कदमों के खिलाफ लोकसभा स्पीकर तक को चिट्ठी लिखकर उन्हें हटाने की मांग कर दी थी। अब खबर है कि इस संसदीय पैनल का कार्यकाल 12 सितंबर को खत्म हो रहा है। ऐसे में विपक्षी दलों का मानना है कि भाजपा सांसदों की तरफ से थरूर के खिलाफ आवाज उठाने का काम इसीलिए किया गया, ताकि वे दोबारा कमेटी के अध्यक्ष न बन पाएं। बताया गया है कि आईटी पैनल की आखिरी बैठक बुधवार को हुई थी। इसमें भाजपा के तीन सांसद- निशिकांत दुबे, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और तेजस्वी सूर्या ने थरूर के लिए फेयरवेल स्पीच तक दे डाली।

गौरतलब है कि लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने 25 अगस्त को पत्र लिखकर न्यायालय में विचाराधीन मामलों को संसदीय समिति की बैठकों में नहीं शामिल करने का सुझाव दिया था। इसके कुछ दिन बाद ही आईटी पैनल के प्रमुख शशि थरूर ने जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सेवा के निलंबन पर चर्चा के लिए स्पीकर को चिट्ठी लिख दी थी, जबकि यह मुद्दा अभी कोर्ट में लंबित है। इसके बाद थरूर ने फेसबुक के प्रतिनिधियों को भी तलब कर लिया। इसी पर निशिकांत दुबे ने आरोप लगाते हुए कहा था कि थरूर की तरफ से स्थापित संसदीय संस्थाओं के प्रति रवैया दोषपूर्ण और बहुत तिरस्कार वाला है। मालूम हो कि निशिकांत दुबे और शशि थरूर दोनों ने पहले एक दूसरे के खिलाफ विशेषाधिकार का उल्लंघन करने के नोटिस दे चुके हैं।