कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। उन्होंने संसद के विशेष सत्र में आर्थिक स्थिति, किसान संगठनों के साथ समझौते, अडाणी समूह के खुलासे, जातीय जनगणना की मांग, संघीय ढांचे पर हमले, समेत नौ मुद्दों पर चर्चा का आग्रह किया।
इस बारे में जानकारी देते हुए कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने बताया कि कल कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में संसदीय दल की बैठक हुई। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर INDIA गठबंधन के नेताओं की बैठक हुई। कांग्रेस नेता ने कहा कि हमने तय किया है कि हम संसद के विशेष सत्र का बहिष्कार नहीं करेंगे। यह हमारे लिए जनता के मुद्दों को सामने रखने का मौका है और हर पार्टी अलग-अलग मुद्दों को सामने रखने की पूरी कोशिश करेगी।
सोनिया गांधी ने इन 9 मुद्दों पर सदन में चर्चा की मांग की
वहीं, पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में सोनिया गांधी ने लिखा कि हम निश्चित तौर पर सत्र में भाग लेना चाहते हैं। उन्होंने लिखा कि सत्र में सार्वजनिक महत्व के मुद्दे उठाने का मौका मिलगा। उम्मीद है चर्चा और बहस के लिए समय दिया जाएगा। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख ने उम्मीद जताई कि संसद के विशेष सत्र के दौरान विपक्ष द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों को रचनात्मक सहयोग की भावना के साथ लिया जाएगा। पत्र में उन्होंने कहा कि संसद के विशेष सत्र के लिए सरकार की ओर से अब तक कोई एजेंडा सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
सोनिया गांधी ने आग्रह किया कि 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र के दौरान देश की आर्थिक स्थिति, जातीय जनगणना, चीन के साथ सीमा पर गतिरोध और अडानी समूह से जुड़े नए खुलासों की पृष्ठभूमि में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग समेत नौ मुद्दों पर उचित नियमों के तहत चर्चा कराई जाए।
जयराम रमेश ने बताया कि श्रीमती सोनिया गांधी जी ने PM मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि यह सत्र बिना किसी वार्ता के मनमाने ढंग से बुलाया गया है। विशेष सत्र से पहले पार्टियों से बात कर एक कार्य सूची तैयार की जाती है, लेकिन इसकी जानकारी हमारे पास नहीं है। बुलेटिन के विशेष सत्र में पांचों दिन सरकारी बिजनेस की बात लिखी गई है, जो नामुमकिन है।हमने ठाना है कि जो मुद्दे हम पिछली बार नहीं उठा पाए थे, इस बार उठाएंगे।
उन्होंने पत्र में कहा, “मैं इस बात का उल्लेख करना चाहूंगी कि संसद का विशेष सत्र राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श किए बिना बुला लिया गया। इस सत्र के एजेंडे के बारे में हमें जानकारी नहीं है।’’ कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने पत्र में कहा कि देश की आर्थिक स्थिति, किसान संगठनों के साथ समझौते, अडाणी समूह से संबंधित जेपीसी की मांग, जातीय जनगणना कराने की मांग, संघीय ढांचे पर हमले, प्राकृतिक आपदा के प्रभाव, चीन के साथ सीमा पर तनाव, देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव और मणिपुर के मुद्दे पर विशेष सत्र में चर्चा की जाए।