राज्यसभा में सोमवार को दिल्ली सेवा बिल पास हो गया है। बिल के पक्ष में 131 वोट पड़े हैं जबकि विरोध में 102 की संख्या रही। इस दौरान उपसभापति हरिवंश नारायण ने वोट नहीं किया क्योंकि वह चेयर पर मौजूद थे। वह जनता दल यूनाइटेड की और से राज्यसभा में भेजे गए हैं। पार्टी ने एक तीन लाइन का व्हिप जारी कर अपने सांसदों को वोटिंग में शामिल होने के लिए कहा था लेकिन वह इस व्हिप से बच गए।

JDU ने बिल के खिलाफ वोट करने का दिया था आदेश 

राज्यसभा में 8 घंटे तक दिल्ली सेवा बिल पर बहस हुई। इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह और विपक्षी दलों के नेताओं के बीच तीखी नोक-झोंक भी देखी गई। आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने संसद के मॉनसून सत्र से पहले तमाम विपक्षी दलों से बिल के विरोध में वोट करने के लिए समर्थन मांगा था। नीतीश कुमार ने भी उन्हें अपना समर्थन दिया था।

JDU ने अपने सांसदों को बिल के विरोध में वोट करने के लिए व्हिप भी जारी किया था लेकिन सांसद  हरिवंश नारायण ने वोट नहीं किया क्योंकि वह सदन की कार्यवाही को उपसभापति के तौर पर संभाल रहे थे। रूल के मुताबिक चेयर पर बैठा हुआ कोई भी सांसद व्हिप से बच सकता है।

राज्यसभा में बिल पास

सोमवार को 8 घंटे की बहस के बाद राज्यसभा ने दिल्ली सेवा विधेयक को मंजूरी दे दी। आप नेता आतिशी ने कहा कि इस नतीजे के बावजूद उनकी पार्टी और राष्ट्रीय  भाजपा के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखेगी।

यह बिल 3 अगस्त को निचले सदन यानी लोकसभा में ध्वनि मत से पारित होने के बाद आया है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ दिनों बाद मई में दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश जारी किया गया था।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023, मई में केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को बदलने का प्रयास करता है, जिसने दिल्ली विधान सभा की विधायी क्षमता से ‘सेवाओं’ को बाहर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सेवाओं का नियंत्रण सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली निर्वाचित सरकार को सौंपने के एक हफ्ते बाद केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली अध्यादेश जारी किया गया था।