पाकिस्तानी आतंकवादी भारतीय सैन्यकर्मियों से संपर्क के लिए भारत के सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहे थे। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने पाया है कि पाक के आतंकी कथित तौर पर एक नेपाली नागरिक द्वारा तस्करी करके लाए गए भारतीय सिम कार्डों का इस्तेमाल कर रहे थे। इसके जरिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर और मथुरा में तैनात कम से कम 75 भारतीय सैन्यकर्मियों से संपर्क साधा था और वे मुख्य रूप से व्हाट्सएप के ज़रिए उनके संपर्क में थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “सैन्यकर्मियों की पहचान करने के बाद, हम आने वाले दिनों में उनके यूनिट प्रमुखों को सूचित करेंगे और उन्हें पूछताछ के लिए बुलाएँगे। अभी तक, हमारे पास किसी भी जासूसी गतिविधि में उनकी संलिप्तता साबित करने वाला कोई ठोस सबूत नहीं है लेकिन पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में मौजूद आतंकवादी उनके संपर्क में थे।”
पाकिस्तानी एजेंट जिन सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहे थे वो महाराष्ट्र में रजिस्टर्ड थे
यह कथित लिंक नेपाल के बीरगंज निवासी प्रभात कुमार चौरसिया (43) के रूप में पहचाने गए एक व्यक्ति से जब्त कम से कम 16 भारतीय सिम कार्डों से प्राप्त डेटा की तकनीकी जांच के बाद सामने आया। नेपाली नागरिक को 28 अगस्त को दिल्ली के लक्ष्मी नगर से दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल (पूर्वी रेंज) की एक टीम ने गिरफ्तार किया था। सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि प्रभात चौरसिया ने अपने आधार कार्ड का इस्तेमाल कर बिहार और महाराष्ट्र से सिम कार्ड खरीदे थे, इनमें से ज्यादातर कार्ड महाराष्ट्र के लातूर जिले में पंजीकृत थे।
पढ़ें- सीआरपीएफ जवान ही नहीं करीब 15 सैन्य और सरकारी अधिकारियों के संपर्क में था पाकिस्तानी जासूस
सूत्रों ने बताया, “भारत से काठमांडू तक इन कार्डों की तस्करी करने के बाद प्रभात ने इन्हें अपने आईएसआई संचालकों को सौंप दिया। बाद में उन्होंने इन नंबरों से व्हाट्सएप अकाउंट बनाए और अपने जासूसी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों और सरकारी विभागों के कर्मियों को लुभाना शुरू कर दिया।”
16 सिम कार्डों में से 11 को आईएसआई के लोग पाकिस्तान से इस्तेमाल कर रहे थे
प्रभात चौरसिया की गिरफ्तारी के बाद डीसीपी (स्पेशल सेल) अमित कौशिक ने बताया, “16 सिम कार्डों में से 11 को आईएसआई के लोग लाहौर, बहावलपुर और पाकिस्तान के अन्य हिस्सों से व्हाट्सएप पर संचालित कर रहे थे। जाँच से पता चला है कि चौरसिया 2024 में एक नेपाली मध्यस्थ के माध्यम से आईएसआई संचालकों के संपर्क में आया था। उसे अमेरिकी वीज़ा और विदेश में पत्रकारिता के अवसरों का वादा करके लुभाया गया था। बदले में, उसे भारतीय सिम कार्ड की सप्लाई करने और डीआरडीओ, सैन्य प्रतिष्ठानों से संबंधित जानकारी इकट्ठा करने का काम सौंपा गया था।”
इस साल की शुरुआत में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था जब केंद्रीय एजेंसियों ने 27 मई को दिल्ली में सीआरपीएफ के सहायक उप-निरीक्षक मोती राम जाट को एक भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) के साथ कथित तौर पर गोपनीय जानकारी साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उसका आईएसआई हैंडलर भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों और सरकारी विभागों के कर्मियों से जुड़े 15 अन्य फ़ोन नंबरों के संपर्क में पाया गया था।
पढ़ें- ख्वाजा आसिफ बोले- मैं भारत से तनाव नहीं बढ़ाना चाहता लेकिन…