फर्जी पासपोर्ट रैकेट मामले में गिरफ्तार किए गए अहमद हुसैन को लेकर ED ने बढ़ा खुलासा किया है। ED ने कोर्ट में दावा किया है कि फर्जी पासपोर्ट के जरिए भारत आने वाला अहमद हुसैन आजाद पाकिस्तान का है। ये बात उसने खुद कबूली है। मंगलवार को उसे अदालत में फर्जी वीजा बनाने में शामिल होने के आरोप को लेकर पेश किया गया था। अदालत में उसे पेश करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उसके देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की जानकारी दी।

ईडी ने आजाद को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बिराती से 15 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। पहले आजाद के बांग्लादेशी होने का दावा किया जा रहा था लेकिन जब जांच हुई तो ईडी को पता चला कि आजाद पाकिस्तान से है, उसने बांग्लादेश के रास्ते भारत में एंट्री किया था। दरअसल बीते मंगलवार को उसकी 14 दिन की ईडी हिरासत खत्म हो गई। जिसके बाद कोर्ट ने आजाद को न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जबकि ईडी अभी उससे पूछताछ करना चाहती है।

50 करोड़ रुपये के बैंक लेनदेन के मिले सबूत

फर्जी पासपोर्ट रैकेट मामले में गिरफ्तारियां की जा रही हैं, इसी कड़ी में आजाद को अरेस्ट किया गया था। मंगलवार को अदालत में ईडी ने अपने बयान में कहा कि उन्हें आजाद और उसके सहयोगियों के बीच करीब 50 करोड़ रुपये के बैंक लेनदेन के नए सबूत मिले हैं। इसके साथ ही ईडी ने अदालत को ये भी बताया कि आजाद यूरोपीय देशों के लिए वीजा बनाता था। वह दुबई, कंबोडिया और मलेशिया के लिए फर्जी वीजा बनाता था। जिसकी जांच की जा रही है।

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कोर्ट ने ईडी के वकील ने कहा, “हमने आजाद के पास से दो वोटर आईडी बरामद किए हैं, दोनों अलग-अलग जगहों के हैं। वहीं दो ड्राइविंग लाइसेंस भी बरामद किए गए हैं। हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि आजाद को ये वोटर आई बनवाने में मदद किसने की।” वहीं इसी सूत्रों की मानें तो पिछले तीन-चार सालों में उससे जुड़े कई खाते में 50 करोड़ रुपये नकद जमा किए गए।

कौन कर रहा था पाकिस्तानी नागरिक की मदद

ईडी की शुरुआत में पूछताछ में आजाद ने खुद को खुद को बांग्लादेश के फेनी जिले का बताया था, उसकी पत्नी और दो बेटे वहीं रहते हैं। लेकिन आगे की जांच में पता चला कि वह मूल रूप से पाकिस्तान का रहने वाला है। उसने 2017 में अहमद हुसैन आजाद के नाम से बांग्लादेश में प्रवेश किया और पासपोर्ट प्राप्त किया, फिर 2019 में एक पर्यटक वीजा पर भारत में प्रवेश किया और आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और भारतीय पासपोर्ट सहित भारतीय पहचान दस्तावेज हासिल करने में कामयाब रहा।

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ईडी सूत्रों ने बताया कि उन्होंने आजाद के दो मोबाइल फोन से कथित तौर पर 20,000 पन्नों के दस्तावेज बरामद किए हैं, जिनमें व्हाट्सएप चैट भी शामिल है, जिसे वे पूछताछ के दौरान उसे दिखाना चाहते हैं। कथित तौर पर 20,000 से ज़्यादा संपर्क नंबर पाए गए, जिनमें से कुछ पर आईएसडी कोड थे, जो “पाकिस्तानी नागरिकों के साथ नियमित संपर्क” का संकेत देते हैं। उनके मोबाइल डेटा से “संदिग्ध” समूहों के साथ जुड़ाव का भी “खुलासा” हुआ, और ईडी उनके संपर्कों और उनकी बातचीत की प्रकृति की पहचान करने के लिए कई बरामद वॉयस रिकॉर्डिंग को डिकोड कर रहा है।

माना जाता है कि आजाद ने कम से कम 200 लोगों के लिए, संभवतः 500 तक, नकली भारतीय दस्तावेज बनाए और उनका इस्तेमाल फर्जी पासपोर्ट बनाने में किया। नकली भारतीय पहचान पत्र प्राप्त करने के बाद, उसने कथित तौर पर पूरे भारत में अपना नेटवर्क फैलाया, एजेंटों से संपर्क किया और पाकिस्तान और बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों को भारतीय और विदेशी वीजा हासिल करने में मदद की। ईडी इस नेटवर्क और इसमें शामिल अन्य लोगों की जांच कर रहा है।