इन दिनों अमेरिका बेशक भारत के साथ पाकिस्तान को बराबरी पर रखने की अनुचित कोशिश कर रहा है, लेकिन दुनिया में प्रकाशित हो रही विभिन्न रपटों में जहां भारत को आर्थिक ऊंचाई हासिल करते देश के रूप में रेखांकित किया जा रहा है। वहीं, पाकिस्तान को कर्ज में डूबे व आर्थिक जोखिमों से ग्रस्त देश के रूप में चिह्नित किया जा रहा है।
हाल ही में प्रस्तुत किए गए पाकिस्तान के वर्ष 2025-26 के बजट की तस्वीर में यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि बजट का करीब आधा हिस्सा सिर्फ कर्ज चुकाने में जा रहा है। वहां गरीबी में कमी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार पर खर्च प्राथमिकता में नहीं है। मगर सामरिक शक्ति बढ़ाने के लिए रक्षा बजट में करीब 20 फीसद की वृद्धि की गई है। इस बजट के बाद एक ओर जहां कर्ज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को खस्ताहाल बनाएगा] वहीं भारत की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों से उसकी आर्थिक मुश्किलें और बढ़ेंगी।
पाकिस्तान पर कुल 76,000 अरब रुपए के कर्ज का बोझ है
गौरतलब है कि पाकिस्तान के इस नए बजट के पहले जो आर्थिक सर्वेक्षण पेश हुआ है, वह उसकी दयनीय स्थिति रेखांकित करते हुए दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान पर कुल 76,000 अरब रुपए के कर्ज का बोझ है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार महज 16.64 अरब डालर का है। इतना ही नहीं इन दिनों पाकिस्तान अपनी खस्ताहाल आर्थिक स्थिति के बीच एक के बाद एक नए विदेशी कर्ज लेते हुए दिखाई दे रहा है।
उसके कर्ज और जीडीपी के बीच अनुपात लगभग 65 फीसद है। यह किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक माना जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, इतना अधिक कर्ज और उसका सही ढंग से प्रबंधन न होना पाकिस्तान की आर्थिक और राजकोषीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बन गया है। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि पाकिस्तान इस समय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के कर्ज पर निर्भर है। हाल ही में प्रकाशित मुद्रा कोष की रपट के मुताबिक, आर्थिक अस्थिरता, महंगाई और खराब विदेशी कर्ज हालात जैसे कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को लगातार पीछे कर रहे हैं।
मई 2025 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने उसे एक अरब डालर का कर्ज दिया है। मगर इसके साथ ही उसने पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें भी लगा दीं। अब कुल मिलाकर मुद्रा कोष की शर्तों की संख्या 50 हो गई है, जो सात अरब डालर के कर्ज के बदले में लगाई गई हैं। मुद्रा कोष के अनुसार, चालू वर्ष में पाकिस्तान की बेरोजगारी दर 8-5 फीसद है। वहीं, गरीबी भी बढ़ रही है। वर्ष 2017 में जहां 39-8 फीसद लोग गरीबी में थे, वहीं 2025 में यह संख्या बढ़ कर 44-7 फीसद हो गई है। इसके अलावा] पाकिस्तान को खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है।
खासकर ग्रामीण इलाकों में लगभग एक करोड़ लोग बेहाल हैं। पाकिस्तान के संबंध में विश्व बैंक की एक नई रपट के अनुसार, पाकिस्तान की विकास दर इतनी कम है कि गरीबी में कोई खास कमी नहीं हो पा रही है। एक सच्चाई यह भी है कि वहां की सेना समर्थित सरकार भारत से सैन्य मुकाबले के मद्देनजर रक्षा बजट बढ़ाना ज्यादा जरूरी मान रही है। इसी परिप्रेक्ष्य में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली में कहा कि आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और पाकिस्तान खस्ताहाल है।
उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा था कि भारत के आर्थिक प्रतिबंध पाकिस्तान के लिए एक बड़ी आर्थिक चुनौती है और अगर वह भारत में आतंक का निर्यात जारी रखता है, तो उसे आर्थिक रूप से बर्बाद होना पड़ेगा। अभी स्थिति यह है कि पहलगाम हमले के बाद स्थगित किए गए सिंधु जल समझौते ने कुछ ही दिनों में पाकिस्तान में बेचैनी बढ़ा दी है। इतना ही नहीं भारत ने चिनाब नदी पर बगलिहार बैराज से पानी के प्रवाह को रोक दिया है। साथ ही झेलम नदी पर बने किशनगंगा बांध के माध्यम से भी इसी तरह के कदम उठाने की रणनीति बनाई जा रही है। ऐसे में पानी के मुद्दे पर पाकिस्तानी संसद से लेकर सेना तक में बेचैनी देखी जा रही है।
पाकिस्तानी सांसद सैयद अली जफर ने संसद में कहा कि अगर हम पानी का मुद्दा सुलझा नहीं पाए, तो भूखे मर जाएंगे। सिंधु बेसिन ही हमारी जीवनरेखा है। 90 फीसद खेती इस पानी पर निर्भर है। वस्तुत: 20वीं सदी की जंग तेल पर थी, जबकि 21वीं सदी की जंग पानी के लिए होगी। पाकिस्तान इस समय पानी की कमी वाले शीर्ष देशों में शामिल है।
इस परिप्रेक्ष्य में विश्व बैंक के प्रमुख अजय बंगा ने कहा है कि सिंधु जल संधि में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान की भूमिका सिर्फ मध्यस्थ की है और वह भारत की ओर से संधि के निलंबन पर कोई दखल नहीं देगा। जल संकट से परेशान पाकिस्तान लगातार भारत से गुहार लगा रहा है। छह जून तक पाकिस्तान ने भारत को चार पत्र लिख कर इस फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है।
दूसरी तरफ भारत ने जल संधि को निलंबित करने के फैसले के पीछे सीमा पार आतंकवाद को कारण बताया है। साथ ही] जल परियोजनाओं को लेकर भी कुछ तकनीकी आपत्तियां बताई हैं। भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी प्रकार के कारोबार पर पूरी तरह रोक लगा दी है। पाकिस्तान में तैयार हुए सभी सामान के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात पर रोक लगी हुई है। सरकार ने पाकिस्तान से आने वाली सभी प्रकार की डाक और पार्सल सेवाओं के आदान-प्रदान को निलंबित कर दिया है। यह निर्णय हवाई और जमीनी दोनों मार्गों पर लागू हुआ है।
भारत ने ‘अटारी लैंड ट्रांजिट पोस्ट’ को भी बंद कर दिया है। इस चौकी का इस्तेमाल दोनों देशों के बीच सामानों की आवाजाही के लिए किया जाता रहा है। हाल यह है कि कर्ज में डूबे पाकिस्तान में महंगाई नियंत्रण से बाहर हो गई है।
यह बात भी अहम है कि भारत-पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्यबल एफटीएफएफ की ‘ग्रे’ सूची में वापस लाने की तैयारी कर रहा है। उसने हाल ही के दिनों में वैश्विक धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी संस्था एफएटीएफ को इस संबंध में जानकारी दी है। यह निर्धारित किया गया है कि भारत की तरफ से एफएटीएफ को एक विस्तृत डोजियर भेजा जाएगा] जिसमें धनशोधन और आतंकवाद के वित्त पोषण में शामिल संस्थाओं और लोगों के सबूत होंगे।
एफएटीएफ से अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत पाकिस्तान पर कार्रवाई की मांग की जाएगी। एफएटीएफ की संभावित बैठक में इस मुद्दे को उठाया जाएगा। ऐसे में पाकिस्तान के बढ़ते कर्ज और वित्तीय चुनौतियां उसकी आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर सकती हैं।