दो साल पहले केंद्र सरकार द्वारा बड़े शोर-शराबे के साथ पीएम श्री योजना का शुभारंभ किया था। इस योजना के लिए केंद्र सरकार अगले पांच साल तक के लिए 27000 करोड़ रुपये से अधिक का बजट तय कर चुकी है। इस योजना में बजट को लेकर नियम है कि इस योजना में आने वाले खर्च को 60 फीसदी केंद्र जबकि 40 फीसदी राज्यों को वहन करना है। जबकि इस योजना को देश में नई शिक्षा नीति 2020 के सुचारु ढंग से कार्यान्वयन करने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत की गई है। इस योजना के लिए केंद्र और राज्यों के शिक्षा मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन होता है। जो दोनों के बीच भागीदारी की पुष्टि करता है।

देश में जहां ज्यादातर राज्यों में बीजेपी या एनडीए गठबंधन की सरकार है। एनडीए समर्थित राज्यों में इस योजना को बिना देरी किए शुरु किया जा चुका है लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी हैं जिन्होंने अभी इस योजना को लेकर केंद्र के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किया है। ये राज्य तमिलनाडु, केरल, पंजाब, दिल्ली और पश्चिम बंगाल। वहीं दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल ने इस योजना को लेकर केंद्र के समझौता ज्ञापन पर सहमति देने से इंकार कर दिया है। जबकि तमिलनाडु और केरल ने इसको अपनी इच्छा जताई है।

इस योजना को लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं करने की स्थिति में केंद्र सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष की दो तिमाही का फंड रोक दिया है। यानी इन तीनों राज्यों को अक्टूबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च के लिए कोई किस्त नहीं मिली है। इतना ही नहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष की अप्रैल-जून की पहली किस्त भी नहीं मिली है।

इस योजना को लेकर इन 3 विपक्षी राज्यों का कहना है कि जहां दिल्ली को तीन तिमाही का 330 करोड़, पंजाब का लगभग 515 करोड़ जबकि पश्चिम बंगाल को 1000 करोड़ मिलने हैं लेकिन अभी तक कोई सूचना नहीं है। इस मामले को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि राज्य इस योजना के समझौता ज्ञापन पर साइन करके धन प्राप्त कर सकता है। जबकि राज्य एसएसए के तहत धन प्राप्त करना जारी नहीं रख सकते हैं। इसी वजह से राज्य पीएम-स्कूल श्री योजना को लागू नहीं कर सकते हैं।

आम आदमी पार्टी शासित राज्य दिल्ली और पंजाब ने इस योजना को अपने राज्यों में लागू करने से इनकार कर दिया है। दोनों राज्यों का कहना है कि इनके यहां पहले से ही ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ नाम से आदर्श स्कूलों के लिए योजना चला रहे हैं। इसलिए हम केंद्र की इस स्कीम का लाभ नहीं लेंगे। जबकि पश्चिम बंगाल ने इस योजना के नाम को लेकर ही आपत्ति जताई। खासकर पीएम-श्री होने पर विरोध भी किया। इसके साथ ही इस वजह से भी विरोध किया क्योंकि इस योजना में राज्य की हिस्सेदारी 40 फीसदी है। हालांकि जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु की ओर से केंद्र को पत्र लिखा गया है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने भी केंद्र को पत्र लिखा है। दोनों ही सरकारें योजना के एसएसए फंड जारी करने की मांग की है।