सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र के 14वें दिन भी जमकर हंगामा हुआ। पहले लोकसभा को मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित किया गया। बाद में संसद सदस्यों के भारी हंगामे के कारण राज्यसभा को भी स्थगित कर दिया गया। इसी बीच विपक्षी दलों के सांसदों ने समय पर सूचना नहीं मिलने का हवाला देते हुए बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग का बहिष्कार कर दिया। 

समाचार एजेंसी एएनआई के सूत्रों के अनुसार विपक्षी दलों के सांसदों ने राज्यसभा के बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग का बहिष्कार कर दिया। सांसदों के अनुसार यह बैठक करीब 5 बजे बुलाई गई थी लेकिन सिर्फ पंद्रह मिनट पहले ही कमेटी के सदस्यों को इसकी सूचना दी गई। समय पर जानकारी नहीं मिलने के कारण सांसदों ने इस मीटिंग का भी बहिष्कार कर दिया।

इससे पहले 12 सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर जारी गतिरोध को लेकर संसदीय कार्य मंत्री ने पांच विपक्षी दलों को बैठक के लिए बुलाया था। इसमें कांग्रेस, टीएमसी, शिवसेना, सीपीआई और सीपीआई (एम) शामिल थी। लेकिन विपक्षी दलों ने यह कहते हुए इस मीटिंग में जाने से मना कर दिया कि सरकार को सभी विपक्षी दलों को बुलाना चाहिए था क्योंकि सभी पार्टियां मिलकर संसद सदस्यों के निलंबन का विरोध कर रही हैं।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पांच दलों को मीटिंग में बुलाने को लेकर केंद्र सरकार पर विपक्षी दलों को बांटने का आरोप लगाया। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि केंद्र सरकार विपक्ष को बांटने की कोशिश कर रही है। करीब 15 से 16 दल मिलकर इस मुद्दे के खिलाफ लड़ रहे हैं और सरकार हमें बांटने के लिए केवल 5 दलों को बुलाती है। यह फूट डालो और राज करो की नीति शायद उन्हें अंग्रेजों ने दी थी।

वहीं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बहुत खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सभापति के आदेश और विपक्ष बार-बार कह रहा था इसलिए आज बैठक बुलाई थी। लेकिन दुर्भाग्य की बात है​​ कि वो बैठक तक के लिए नहीं आए। अगर वो अपनी गलती स्वीकारते हैं और माफी मांगते हैं तो मुझे लगता है कि उसमें कोई छोटा नहीं होता। उससे सदन की गरिमा बढ़ेगी।