विपक्षी दलों की बैठक के दूसरे दिन मंगलवार को कई मुद्दों पर चर्चा होगी और उसी दिन दिल्ली में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की बैठक होने वाली है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि एनडीए की बैठक में 38 दल शामिल होंगे। सोमवार शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेपी नड्डा ने कहा कि एनडीए की मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए 38 दलों ने सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि NDA की मीटिंग शाम को बुलाई गई है।
कर्नाटक के बेंगलुरू में 17-18 जुलाई को मीटिंग से पहले विपक्षी दलों की पिछली बैठक 23 जून को पटना में हुई थी। हालांकि, पहली और दूसरी बैठक के बीच राजनीतिक समीकरण काफी हद तक बदल गए हैं। एक तरफ जहां विपक्षी एकता में बड़े नेता के तौर पर देखे जाने वाले शरद पवार की पार्टी NCP टूट चुकी है और फिलहाल पवार अपनी पार्टी को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के खिलाफ NDA की ताकत दिखाने के लिए बीजेपी ने पिछले एक हफ्ते में 6 नए दलों को अपने साथ जोड़ लिया है। इन पार्टियों का एनडीए के साथ जुड़ने के साथ ही कई राज्यों के जातीय समीकरण भी बदल गए हैं।
शरद पवार विपक्षी दलों की बैठक में तो अजित NDA की मीटिंग में होंगे शामिल
विपक्षी दलों की दूसरी बैठक में इस बार एनसीपी नेता शरद पवार शामिल होंगे तो वहीं उनके भतीजे अजित पवार दिल्ली में होने वाली एनडीए की बैठक में हिस्सा लेंगे। एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल भी अब एनडीए बैठक में शामिल होंगे। वहीं, अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल 18 जुलाई को होने वाली एनडीए की बैठक में शामिल होंगी तो वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपना दल में दूसरे गुट की अध्यक्ष और अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल विपक्ष की बैठक में जा सकती हैं।
NDA में शामिल हुए 6 नए दल
विपक्ष की पटना बैठक में शामिल हुई कई पार्टियों ने बेंगलुरू की बैठक से पहले एनडीए का हाथ थाम लिया है। एनडीए में पहले ही 24 दल शामिल थे, अब 6 नए दलों के जुड़ने के बाद गठबंधन में दलों की संख्या 30 हो गई है। एनडीए में हाल ही में शामिल होने वाले नए 6 दलों में के नाम हैं- अजित पवार गुट की एनसीपी, लोकजनशक्ति पार्टी, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा , आरएलएसपी, वीआईपी और सुभासपा।
उत्तर प्रदेश का बदलेगा समीकरण
ओबीसी नेताओं में बड़ा चेहरा माने जाने वाले ओम प्रकाश राजभर रविवार को एनडीए में शामिल हो गए। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राजभर का एनडीए में शामिल होना बीजेपी के चुनावी अभियान को मजबूती देगा। ओपी राजभर पूर्वांचल की लगभग 32 लोकसभा सीटों पर अपने प्रभाव का दावा करते हैं, ऐसे में अगर सुभासपा बीजेपी के साथ मैदान में उतरती है तो एनडीए पूर्वांचल में अपने सियासी आधार को मजबूत बना सकती है।
बिहार में कैसे बदलेगा समीकरण?
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान का एनडीए में शामिल होना लगभग तय है। उनकी पार्टी लोजपा का बिहार में दलित सीटों पर मजबूत जनाधार है। लोजपा का कोर वोटर पासवान है, जिसकी आबादी बिहार में 4 से 5 प्रतिशत के आसपास है। पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कुछ दिन पहले ही जेडीयू से खुद को अलग करते हुए राष्ट्रीय लोक जनता दल का गठन किया है। बिहार में उपेंद्र कुशवाहा को कुशवाहा जाति के सबसे बड़े नेता के रूप में जाना जाता है। बांका, मधुबनी, आरा, रोहतास और समस्तीपुर में उनकी पकड़ मजबूत।
18 जुलाई को होने वाली बैठक में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को भी बुलाया गया है। मांझी बिहार में मुसहर समुदाय के सबसे बड़े नेता हैं। मांझी का दबदबा जमुई, औरंगाबाद और सासाराम में है। मुकेश सहनी बिहार के निषाद समुदाय के बड़े नेताओं में से एक हैं। मुकेश सहनी का वोट बैंक मधुबनी, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और समस्तीपुर में है।
एनडीए में पहले ये 24 दल थे शामिल
शिवसेना शिंदे गुट, अन्नाद्रमुक, एनपीपी, एनडीपीपी, जेजेपी, एसकेएम, बीपीपी, आईएमकेएमके, आईटीएफटी, आजसू, एमएनएफ, तमिल मनीला कांग्रेस, पीएमके, अपना दल एस, एमजीपीस, एजीपी, लोजपा, निषाद पार्टी, यूपीपीएल, अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस पुदुचेरी, अकाली दल ढ़ीडसा, आरपीआई और पवन कल्याण की जनसेना।