बिहार की राजधानी पटना में 23 जून को कांग्रेस, AAP और टीएमसी सहित लगभग 20 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक होगी। बैठक के दौरान विपक्षी नेता 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा करेंगे। दूसरी ओर 23 जून को पीएम नरेंद्र मोदी भी प्रवासी भारतीयों की भूमिका पर वाशिंगटन में भारतीय-अमेरिकियों की एक सभा को संबोधित करेंगे। लेकिन पटना में बीजेपी के खिलाफ रणनीति बनेगी।

पीएम मोदी की लोकप्रियता के दम पर बीजेपी हासिल कर रही सफलता

भारत का राजनीतिक विपक्ष अभी तक पीएम पद की दावेदारी को लेकर को एकजुट नहीं था। लेकिन 23 जून को महत्वपूर्ण बैठक में इसपर कोई आम रणनीति बन सकती है। पीएम मोदी की लोकप्रियता, हिंदुत्व को बढ़ावा देने और उनके सरकार चलाने के तरीके को लेकर बीजेपी को अभी तक बहुत फायदा हुआ है। लेकिन विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की जांच ने विपक्ष को एक साथ आने के लिए मजबूर कर दिया है।

यह तब है जब भाजपा एनडीए के भीतर समस्याओं का सामना कर रही है। महाराष्ट्र में शिवसेना के एक विज्ञापन के बाद भाजपा परेशान है, जिसमें उसके मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को उनके डिप्टी देवेंद्र फडणवीस से अधिक लोकप्रिय बताया गया है। वहीं तमिलनाडु में बीजेपी की सहयोगी AIADMK ने पूर्व सीएम जयललिता पर प्रदेश भाजपा प्रमुख अन्नामलाई (BJP chief Annamalai) की टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया, जिससे बीजेपी परेशान है।

भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षणों से पता चला है कि उसे बिहार जैसे राज्यों में नुकसान उठाना पड़ सकता है, जहां जेडीयू ने उसका साथ छोड़ दिया है। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे शिवसेना के कई विधायकों और सांसदों के साथ भाजपा के साथ हाथ मिला चुके हैं लेकिन कुछ वफादार अभी भी उद्धव ठाकरे के साथ हैं।

तो बड़ा सवाल उठ रहा है कि बीजेपी क्या कर रही है? विपक्ष सबको साथ लाने के लिए बैठक कर रहा है तो एनडीए के अंदर बीजेपी भी ऐसा ही कर रही है, ताकि उसके पुराने सहयोगी दल साथ आए। पीएम मोदी ने भी पार्टी के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में पुराने सहयोगियों को साथ लाने को कहा है।

इसके परिणाम भी दिख रहे हैं। चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी, जो आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के मुद्दे को लेकर 2018 में एनडीए छोड़ दिया था, वह फिर एनडीए में शामिल हो सकती है। चंद्रबाबू नायडू ने दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की थी। वहीं पंजाब की अकाली दल भी बीजेपी के साथ आ सकती है, जिसने 2020 में तीन कृषि विधेयकों के विरोध में गठबंधन छोड़ दिया था। टीडीपी और अकाली दोनों एनडीए के संस्थापक सदस्य थे। रिपोर्टों यह भी कहतीं हैं कि कर्नाटक में जेडीएस भी एनडीए में शामिल हो सकती है।

बिहार में बीजेपी HAM और चिराग को साथ ला सकती

बीजेपी केवल बड़े दलों को ही नहीं हैं बल्कि छोटे दलों को भी एनडीए में वापस देखना चाहती है। बिहार में बीजेपी चिराग पासवान और जीतनराम मांझी को अपने साथ ला सकती है 2020 के बिहार चुनावों के पहले चिराग ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा लेकिन अब वो बीजेपी के करीब आ रहे हैं उन्होंने हाल ही में हुए मोकामा और गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव के दौरान बीजेपी के लिए प्रचार किया

इस बीच नीतीश कुमार के एससी और एसटी मंत्री संतोष कुमार सुमन ने यह कहते हुए बिहार सरकार से इस्तीफा दे दिया कि उनके पिता जीतनराम मांझी पर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) का जदयू में विलय करने का दबाव था। वहीं सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि HAM वैसे भी भाजपा की ओर बढ़ रहा था और यह अच्छा है कि संतोष कुमार ने पद छोड़ दिया है। HAM को NDA में देखना कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

वहीं विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश साहनी भी बीजेपी के साथ आ सकते हैं। वह भी नीतीश सरकार में मंत्री थे, लेकिन उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। मुकेश साहनी, मल्लाह जाति से आते हैं और अपनी जाति के लोगों को दलितों के रूप में मान्यता देना चाहते हैं। जदयू के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने इस साल की शुरुआत में नीतीश कुमार का साथ छोड़ दिया था और अपनी नई पार्टी बनाई।

राजभर भी आ सकते बीजेपी के साथ

वहीं उत्तर प्रदेश में बीजेपी ओम प्रकाश राजभर को अपने साथ लाना चाह रही है। ओम प्रकाश राजभर सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उन्होंने 2022 यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सपा गठबंधन को जॉइन कर लिया था, लेकिन उसके बाद उन्होंने गठबंधन छोड़ दिया। अब राजभर बीजेपी नेताओं से लगातार मिल रहे हैं और दो दिन पहले ही उन्होंने योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। राजभर के साथ आने से बीजेपी को पूर्वांचल में काफी फायदा होगा।