राज्यसभा में कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर बल देते हुए सरकार को इस समस्या का स्वीकार्य हल निकालने का सुझाव दिया। साथ में दलों ने कटाक्ष किया कि आत्ममुग्ध सरकारें, आत्मनिर्भर भारत का निर्माण नहीं कर सकतीं। हालांकि इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि इन तीनों कानूनों के माध्यम से देश के किसानों को आजादी मिल सकेगी।
उच्च सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर हो रही चर्चा में भाग लेते हुए विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार से सवाल किया कि किसानों को आंदोलन करने की नौबत क्यों आई? साथ ही उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह किसानों के दर्द को समझे और उन्हें दूर करने की कोशिश करे। दूसरी ओर, भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ऐसे सुधारों का जिक्र किया था लेकिन अब उसके सुर बदल गए हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री और जद (सेकु) नेता एचडी देवेगौड़ा ने किसानों को राष्ट्र की रीढ़ बताते हुए कहा कि उनकी समस्याओं को सुना जाना चाहिए और एक स्वीकार्य समाधान निकाला जाना चाहिए। भाजपा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि तीनों कानून इसलिए लाए गए ताकि किसानों की प्रगति हो सके। उन्होंने कहा कि देश को राजनीतिक आजादी करीब 70 साल पहले मिल गई थी लेकिन किसानों को उनकी वास्तविक आजादी नहीं मिल पाई।
उन्होंने कहा कि किसानों के साथ 11 बार संवाद हुआ है और सरकार ने 18 महीने कानून स्थगित करने की भी बात की है। सिंधिया ने इस क्रम में कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि पार्टी ने 2019 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में कृषि सुधारों का वायदा किया था। चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने
कहा कि कहा जाता है कि हमने अपने घोषणापत्र में इन कृषि सुधारों का वादा किया था। लेकिन सच यह है कि हमने इन विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने की मांग की थी।
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सरकार किसानों को एक लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त आमदनी मुहैया कराएगी और यह रकम अपशिष्ट को ऊर्जा में तब्दील करने से हासिल होगी। कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि इस आंदोलन का आज 72वां दिन है और बातचीत के 11 दौर बेनतीजा रहे।
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में जो कुछ हुआ, उसके लिए सिर्फ सरकार ही जिम्मेदार है। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने आंदोलन के दौरान कथित तौर पर जान गंवाने वाले किसानों के सम्मान में डेरेक ओ ब्रायन की अगुआई में कुछ पलों का मौन रखा। राजद सदस्य मनोज झा ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर दलगत भावना से ऊपर उठकर विचार करने की जरूरत है।
चर्चा में भाग लेते हुए मनोनीत सदस्य स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि देश में हुई हरित क्रांति का लाभ पंजाब को विशेष रूप से मिला और वहां इससे किसानों में खुशहाली आई। लेकिन पश्चिम बंगाल सहित पूर्वी भारत का एक बड़ा हिस्सा उस क्रांति के लाभों से दूर रहा। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि किसानों के आंदोलन के दौरान 100 से अधिक किसानों की जान जा चुकी है लेकिन उनकी परेशानी दूर करने के बजाय उन्हें आतंकवादी कहकर अपमानित किया जा रहा है। माकपा के विकास रंजन ने कहा कि सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए और मुझे नहीं लगता कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने में कोई दिक्कत है।

