पीएम मोदी की Security Lapse मामले में सोमवार को उस समय अनोखा मोड़ आ गया जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले कई वकीलों ने आरोप लगाए कि उन्हें सिख फॉर जस्टिस (SFJ) की तरफ से धमकी भरे कॉल आए हैं। वकीलों का कहना था कि फोन करने वाले का कहना था कि उसके संगठन ने ही पीएम का रास्ता रोका था, क्योंकि उनका मानना है कि जब 1984 के सिख विरोधी दंगों के दोषियों को कोर्ट सजा नहीं दे सकती तो पीएम की सुरक्षा मामले में सुनवाई का उसे कोई हक नहीं है। ये कॉल सुनवाई से ठीक पहले आए।

एक वरिष्ठ वकील ने बताया कि ऐसा लग रहा था कि कॉल पहले से रिकॉर्ड की गई थी। नंबर ब्रिटेन का मालूम होता है। एक वकील ने बताया कि उसे +447418365564 से कॉल आई। उसका कहना है कि पहले से रिकॉर्ड मैसेज में धमकी दी गई कि SFJ ने ही पीएम मोदी के काफिले को रोका था। उसका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। वकील की शिकायत के बाद बार के कई मेंबरों ने बताया कि उन्हें भी ऐसी ही धमकियां मिल रही हैं।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने धमकी की परवाह किए बगैर मामले की सुनवाई की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे पर हुई सुरक्षा चूक की जांच के लिए केन्द्र और पंजाब सरकार द्वारा गठित अलग-अलग समितियों पर सोमवार को रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि वो अपने पूर्व जस्टिस की अध्यक्षता में एक समिति गठित करेगा। सीजेआई एनवी रमन्ना ने कहा कि इस संबंध में औपचारिक आदेश जल्द पारित किया जाएगा। चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी), पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल प्रस्तावित समिति का हिस्सा हो सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ‘लॉयर्स वॉइस’ की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक की गहन जांच और भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं हो, यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है। गौरतलब है कि पंजाब में पांच जनवरी को प्रदर्शनकारियों द्वारा नाकेबंदी करने के कारण प्रधानमंत्री का काफिला एक फ्लाईओवर पर कुछ देर तक फंसा रहा था। इसके बाद वह एक रैली सहित किसी भी कार्यक्रम में शामिल हुए बिना पंजाब से दिल्ली लौट गए थे।