One Nation One Election: वन नेशन वन इलेक्शन बिल को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। गुरुवार को हुई कैबिनेट की मीटिंग में इसे हरी झंडी दे दी गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इस बिल को शीतकालीन सत्र में ही पटल पर रख सकती है। वन नेशन वन इलेक्शन के बिल पर विपक्ष हमलावर है। शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत ने कहा कि पीएम मोदी हमेशा अपने मन की बात बोलते हैं। लेकिन मुझे शंका है कि क्या 2029 तक पीएम मोदी प्रधानमंत्री रहेंगे।
शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत ने वन नेशन वन इलेक्शन पर मीडिया से बातचीत में कहा, ‘वन नेशन वन इलेक्शन के बारे में सही से रिसर्च नहीं की गई है। यह बहुत ही जल्दबाजी है। पीएम मोदी हमेशा अपने मन की बात बोलते हैं। जनता या विपक्ष के मन में क्या है वो इस बारे में कभी भी नहीं सोचते हैं। ये एक संघ राज्य व्यवस्था है हमारे देश में। आप जम्मू-कश्मीर का चुनाव एक साथ नहीं कर सकते और मुंबई महानगरपालिका का चुनाव एक साथ नहीं कर सकते हैं। आप अपने स्वार्थ के लिए वन नेशन वन इलेक्शन करने जा रहे हैं।’
क्या नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने रहेंगे?
संजय राउत ने आगे कहा, ‘मुझे यह शंका है कि क्या 2029 तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने रहेंगे। आपको मेरी बात से हैरानी होगी। लेकिन मेरा यह सवाल है कि जो पीएम मोदी और अमित शाह करने जा रहे हैं, ये लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। आपकी सरकारें चाहे महाराष्ट्र में हो या दिल्ली में हो यह लोकतंत्र से बनी हुई सरकारें नहीं हैं। ये ईवीएम से बनी हुईं सरकारें हैं। तो क्या 2029 तक पीएम मोदी प्रधानमंत्री रहेंगे। क्या उनको सत्ता छोड़नी पड़ेगी यह आने वाला समय ही बताएगा।
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वन नेशन वन इलेक्शन पर क्या बोले अखिलेश यादव
वन नेशन वन इलेक्शन पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन चुनाव जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी का जुगाड़ है। उन्होंने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ सही मायनों में एक ‘अव्यावहारिक’ ही नहीं ‘अलोकतांत्रिक’ व्यवस्था भी है क्योंकि कभी-कभी सरकार अपनी समयावधि के बीच भी अस्थिर हो जाती है तो क्या वहां की जनता लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व के बिना रहती है। इसके लिए सांवैधानिक रूप से अवशिष्ट अवशेषों को बीच में ही तोड़ना होगा, जो जनमत का अपमान होगा।
असल ‘एक देश, एक चुनाव’ लोकतंत्र के खिलाफ, एकतंत्री सोच का बहुत बड़ा षड्यंत्र है। जो चाहता है कि एक साथ ही पूरे देश पर कब्ज़ा कर लिया जाए। इससे चुनाव एकवति प्रक्रिया जारी रहेगी। जो सरकार बारिश, पानी, त्योहार, नाहन के नाम पर चुनाव का दावा करती है, वह एक साथ चुनाव का दावा कैसे कर सकता है। ‘एक देश, एक चुनाव’ एक चुनौती है, जिसके मूल कारण में एकाधिकार की आलोकतांत्रिक व्यवस्था काम कर रही है। ये सामुदायिक व्यवस्था के सामूहिक सामूहिक की साजिश है। सिर्फ मंजूरी देने से नहीं बनेगी बात, जानिए वन नेशन वन इलेक्शन की आगे की राह पढ़ें पूरी खबर…