नई दिल्ली। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर कालेधन के मुद्दे पर आम जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए, वित्त मंत्री अरुण जेटली की यह दलील खारिज कर दी है कि कांग्रेस सरकार ने 1995 में जर्मनी के साथ जो संधि की थी उससे मोदी सरकार के हाथ बंधे हैं।

कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख अजय माकन ने कहा कि वाजपेयी की राजग सरकार ने अपने शुरुआती दौर में गोपनीयता के अनुच्छेद वाले 14 ‘दोहरा कराधान से बचाव संधि’ (डीटीएए) पर दस्तखत किए। उनमें तीन संशोधन थे। लेकिन इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। उन्होंने जेटली के इस आरोप पर सवालिया निशान लगाया कि जर्मनी के साथ डीटीएए 19 जून 1995 को किया गया था जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी।

कांग्रेस नेता ने वित्त मंत्रालय की वेबसाइट का एक कथित स्नैपशाट दिखाते हुए कहा कि वेबसाइट के अनुसार जर्मनी के साथ इस संधि पर सितंबर 1996 में दस्तखत किए गए और इसकी अधिसूचना नवंबर 1996 में की गई जब कांग्रेस की सरकार नहीं थी। पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि क्या जेटली झूठ बोल रहे हैं तो उन्होंने कहा कि शायद उनके पास कुछ अन्य दस्तावेज होंगे। लेकिन यह मुख्य चीज नहीं है। मुख्य चीज यह है कि जब भाजपा ने अपने शासनकाल में इतनी सारी संधियां कीं तो उन्होंने गोपनीयता की शर्त क्यों नहीं हटाने की सोची।

विदेशी बैंकों में भारतीयों का जमा कालाधन वापस लाने का वादा करने वाली मोदी सरकार ने पूर्व की मनमोहन सरकार की लाइन पर चलते हुए सुप्रीम कोर्ट को शुक्रवार को सूचित किया था कि वह उन देशों की इस तरह की सूचनाएं सार्वजनिक नहीं कर सकती जिनके साथ भारत का डीटीएए है। बाद में जेटली ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने 1995 में जर्मनी के साथ एक संधि की थी जो कालेधन का ब्योरा सार्वजनिक करने में बाधाकारी कारक है।
जेटली के इस आरोप को खारिज करते हुए माकन ने इस मुद्दे पर भाजपा पर जोरदार हमला करते हुए मोदी समेत भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के अनेक बयानों का उदाहरण दिया जिसमें उन्होंने कालाधन वापस लाने और जल्द ही लोगों को सौंपने की बात कही थी। उनमें से कई अब मंत्री हैं। उन्होंने कहा कि मोदी ने कहा था कि अगर कालाधन वापस लाया गया तो हर नागरिक को 15 लाख रुपए मिलेंगे। राजनाथ सिंह ने कहा था कि विदेशों में छिपाया गया कालाधन 100 दिन के अंदर वापस लाया जाएगा। मैं अपने 15 लाख रुपए मांगता हूं। मैं मांग करता हूं कि 15 लाख रुपए मेरी जेब में, आपकी जेब में पहुंचे।

माकन ने कहा कि इनमें से कोई वादा पूरा नहीं हुआ। लोग जानना चाहते हैं कि भाजपा नेताओं ने उन्हें क्यों गुमराह किया। इससे पहले कभी कालेधन को राजनीतिक रूप से इस्तेमाल नहीं किया गया जैसा पिछले पांच साल के दौरान भाजपा और योग गुरु रामदेव समेत उसके सहयोगियों ने किया। उन्होंने बाबा रामदेव, अण्णा हजारे और किरण बेदी को कालेधन पर सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने की चुनौती देते हुए कहा कि वे उन्हें बताना चाहते हैं कि मोदी सरकार उन्हें गुमराह कर रही है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि शुक्रवार का हलफनामा करोड़ों लोगों के सपनों को चूर-चूर करता है जिन्हें भाजपा ने कालेधन के मुद्दे पर बहुत से वादे किए थे। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि वे उन सभी लोगों के खिलाफ आंदोलन छेड़ें जिन्होंने इस मुद्दे पर उन्हें गुमराह किया है वरना उनकी अपनी साख खत्म हो जाएगी। भाजपा ने उन्हें कहा था कि वे 100 दिन के अंदर कालाधन वापस लाएंगे। वादे के खिलाफ न तो कालाधन आ रहा है और ना ही नाम उजागर किए जा रहे हैं। हर नागरिक के लिए 15 लाख रुपए भी दिख नहीं रहे हैं। कहां हैं इस मुद्दे पर वे आंदोलन जो यूपीए सरकार के दौरान दिखे थे?
कांग्रेस नेता ने भाजपा पर इसे राजनीतिक रूप देने का आरोप लगाते हुए विदेशों में छिपाए गए कालाधन वापस लाने पर मोदी, नितिन गडकरी, रविशंकर प्रसाद, निर्मला सीतारमण और प्रकाश जावड़ेकर के कथित बयानों के उदाहरण दिए। उन्होंने 17 देशों के नाम जारी किए जिसके साथ 1998 से 2002 के बीच में राजग सरकार के दौरान डीटीएए किए गए थे।

माकन ने सरकारी हलफनामा की पृष्ठ संख्या 12 और 18 के पैरा का उद्धरण देते हुए कहा कि श्रीमान कानून मंत्री, कांग्रेस आपसे जानना चाहती है कि जब आप कानून मंत्री होते हैं और जब विपक्षी नेता होते हैं तो क्या कानून की आपकी व्याख्या अलग-अलग होती है। देश की जनता जानना चाहती है कि आपने उन्हें क्यों गुमराह किया। हलफनामा की पृष्ठ संख्या 18 पर सरकार ने दलील दी है कि अगर कालाधन खाता धारकों का नाम उजागर किया गया तो भारत की रेटिंग गिर जाएगी।