जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। चुनाव की घोषणा होने के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया। वहीं उनके बेटे और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस चुनाव को लेकर ही प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं। साल 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था।

जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद उमर अब्दुल्ला ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा था राज्य में जब भी विधानसभा चुनाव होंगे वो विधानसभा के सदस्य नहीं होंगे। उन्होंने कहा था, ‘मैं जम्मू कश्मीर विधानसभा का नेता रहा हूं। जब तक जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा। मैं कभी भी राज्य के विधानसभा का सदस्य नहीं रहूंगा।’

उमर अब्दुल्ला ने बीते 7 अगस्त को द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बात करते हुए अपनी पुरानी बातों को दोहराया था। उन्होंने कहा था कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे।, ‘मैं चुनाव नहीं लड़ रहा हूं। मैंने यह बहुत स्पष्ट कर दिया है। मैं सबसे सशक्त राज्य का सीएम रहा हूं। मैं खुद को ऐसी स्थिति में नहीं देख सकता, जहां मुझे अपने चपरासी की नियुक्ति के लिए एलजी से पूछना पड़े। यह इतना ही सरल है। मैं एलजी के वेटिंग रूम के बाहर बैठकर उनसे यह नहीं कहने वाला हूं कि, ‘सर, कृपया फाइल पर हस्ताक्षर करें।’

पिता की वजह से चिंतित हैं उमर अब्दुल्ला

हालांकि एनसी उपाध्यक्ष ने ये भी कहा, ‘उनके पिता उनके चुनाव लड़ने को लेकर दबाव दे रहे हैं। मेरे लिए चिंता का विषय मेरे पिता हैं क्योंकि उनकी उम्र ज्यादा हो गई है। ऐसे में मैं अगर चुनाव नहीं लड़ता हूं तो मजबूरी में उनको चुनावी मैदान में उतरना होगा। इसको लेकर मैं अपनी पार्टी और फारूक साहब से बात करके जल्दी हो कोई उचित निर्णय लूंगा।’

4 अक्टूबर को आएंगे चुनाव परिणाम

बीते शुक्रवार को निर्वाचन आयोग ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की घोषणा की थी। जम्मू-कश्मीर में लगभग एक दशक के बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। यह चुनाव 18 सितंबर से तीन चरणों में चुनाव होना है और 4 अक्टूबर को वोटों की गिनती होनी है। जिसके बाद तय होगा कि धारा 370 खत्म होने के बाद राज्य की सत्ता किसके हाथ में होती है। 

(बशारत मसूद की रिपोर्ट)