ओडिशा विधानसभा चुनाव में 147 में से 78 सीटें बीजेपी को मिली हैं। पहली बार ओडिशा में बीजेपी अपने दम पर सत्ता में आई है। मंगलवार को मुख्यमंत्री चुनने के लिए बीजेपी एक बैठक करने वाली है। इसके बाद 12 जून को शपथ दिलाई जाएगी। पार्टी नेतृत्व इस महत्वपूर्ण भाजपा विधायक दल की बैठक के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पर्यवेक्षक के रूप में ओडिशा भेज रहा है।
पीएम मोदी शपथग्रहण में होंगे शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शीर्ष भाजपा नेता और बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री बुधवार को भुवनेश्वर के जनता मैदान में आयोजित होने वाले पार्टी के पहले सीएम और उनके मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। राज्य में भाजपा को पहला पूर्ण बहुमत देने के लिए लोगों को धन्यवाद देने के लिए शपथ ग्रहण स्थल पर पहुंचने से पहले पीएम मोदी का 1.5 किलोमीटर लंबा रोड शो करने का कार्यक्रम है। भाजपा ने नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजेडी के 25 सालों के शासन को समाप्त कर दिया। बीजेडी को केवल 51 सीटें मिली हैं। इसके अलावा लोकसभा में भी भाजपा ने राज्य की 21 में से 20 लोकसभा सीटें जीती हैं।
धर्मेंद्र प्रधान और जुएल ओराम रेस से बाहर
इस बीच बीजेपी खेमे में सीएम के चयन के साथ-साथ नई सरकार के गठन को लेकर भी माथापच्ची जारी है। पहले धर्मेंद्र प्रधान और जुएल ओराम जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का नाम सीएम पद के लिए चल रहा था, लेकिन अब उन्हें मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार 3.0 में शामिल किया गया है। धर्मेंद्र प्रधान को फिर से शिक्षा विभाग दिया गया है, वहीं ओराम को आदिवासी मामलों के मंत्रालय का प्रभार आवंटित किया गया है।
मनमोहन समल का नाम सबसे आगे
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनमोहन समल को सीएम पद के प्रमुख दावेदारों में से एक माना जा रहा है। हालांकि वह चंदबली विधानसभा सीट से 1916 वोटों के मामूली अंतर से अपना चुनाव हार गए हैं। पार्टी के सीएम पद के सवाल पर मनमोहन समल ने कहा, “कोई उड़िया ही सीएम होगा। विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में सर्वसम्मति से नाम तय किया जाएगा। राज्य इकाई अध्यक्ष के तौर पर मेरा जो भी कर्तव्य था, मैंने उसे पूरी ईमानदारी से निभाया है। मैं सबको साथ लेकर चला। मुझे यकीन है कि संसदीय बोर्ड राज्य का नेतृत्व करने के लिए एक सक्षम व्यक्ति का चयन करेगा।”
अप्रैल 2000 में मनमोहन समल राज्यसभा के लिए चुने गए, लेकिन 2004 में भद्रक के धामनगर से ओडिशा विधानसभा के लिए चुने जाने पर उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। जमीनी स्तर के नेता माने जाने वाले 65 वर्षीय मनमोहन समल के पास विभिन्न विभागों को संभालने का अनुभव है क्योंकि उन्होंने बीजेडी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री के रूप में काम किया था और 2004 से 2008 तक राजस्व और खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण जैसे विभाग संभाले थे।
कोस्टल ओडिशा के भद्रक जिले के रहने वाले मनमोहन समल अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थे और आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी का भी हिस्सा थे। उन्होंने दो बार राज्य भाजपा अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। पहले 1999-2004 के दौरान और फिर मार्च 2023 से अभी तक बीजेपी अध्यक्ष हैं। गौरतलब है कि मनमोहन समल उन भाजपा नेताओं में से थे, जो बीजेडी और भाजपा के बीच गठबंधन बातचीत के विरोधी थे। इन चुनावों से पहले उन्होंने अपनी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को अकेले चुनाव में जाने के लिए मना लिया और भाजपा-बीजेडी की बातचीत आखिरकार विफल हो गई।
सुरेश पुजारी का नाम भी चर्चा में
सीएम पद के लिए पूर्व राज्य बीजेपी अध्यक्ष सुरेश पुजारी की उम्मीदवारी को लेकर भी जोरदार चर्चा है। पूर्व सांसद सुरेश पुजारी पश्चिमी ओडिशा के ब्रजराजनगर विधानसभा क्षेत्र से भारी अंतर से जीते हैं। यह उनकी पहली विधानसभा चुनाव जीत है। संबलपुर के मूल निवासी 64 वर्षीय सुरेश पुजारी पेशे से वकील हैं। वह पहली बार 2019 में बारगढ़ से लोकसभा के लिए चुने गए। इससे पहले उन्होंने पांच बार विधानसभा चुनावों (तीन बार ब्रजराजनगर में और दो बार संबलपुर में) में हार झेली थी।
सुरेश पुजारी ने पत्रकारों से कहा, “पार्टी का संसदीय बोर्ड इन मामलों में अंतिम निर्णय लेता है। सीएम चुनने का पैरामीटर वही है जो पीएम ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था। 24 कैरेट का शुद्ध उड़िया ओडिशा का मुख्यमंत्री होगा, जो उड़िया अस्मिता और संस्कृति के लिए काम करेगा।” वर्तमान चुनावों में उड़िया अस्मिता (गौरव) भाजपा का मुद्दा था।
1980 में संबलपुर में हिंसक छात्र आंदोलन के दौरान एक तेजतर्रार छात्र नेता के रूप में सुर्खियों में आए सुरेश पुजारी को 2006 में राज्य भाजपा अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। वह ओडिशा के पश्चिमी क्षेत्र से आते हैं, जिसे पारंपरिक रूप से भाजपा का गढ़ माना जाता है। ऐसी अटकलें हैं कि बीजेपी सीएम पद के लिए गिरीश मुर्मू पर भी विचार कर सकती है। गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी 65 वर्षीय गिरीश मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले के मूल निवासी हैं। जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने उनके प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया था। वह वर्तमान में अगस्त 2020 से भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के रूप में कार्यरत हैं।
बैजयंत जय पांडा और प्रताप सारंगी भी सीएम पद की रेस में
अन्य संभावित सीएम में बैजयंत जय पांडा और प्रताप सारंगी जैसे वरिष्ठ नेता हैं, जो लोकसभा के लिए चुने गए हैं। पटनागढ़ के पूर्व शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ विधायक केवी सिंह देव भी सीएम पद के दावेदारों में से एक हैं। केवी सिंह देव अब छठवीं बार पटनागढ़ सीट से चुने गए हैं। उन्होंने पहले की बीजेडी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री के रूप में भी काम किया था।