पांच राज्‍यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हिंदी पट्टी के तीन राज्‍य जीतने में सफल रही। इसके बाद मुख्‍यमंत्रियों के नाम को लेकर थोड़ी धींगामुश्‍ती हुई और अंतत: 17 दिसंबर को मध्‍य प्रदेश में कमलनाथ, राजस्‍थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट, छत्‍तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने शपथ ली। इंडियन एक्‍सप्रेस में प्रकाशित होने वाले साप्‍ताहिक कॉलम Inside Track में वरिष्‍ठ पत्रकार कूमी कपूर लिखती हैं कि सीएम पद के लिए मची खींचतान इस देरी की इकलौती वजह नहीं थी। दरअसल, पार्टी ‘शुभ मुहूर्त’ का इंतजार कर रही थी। 11 दिसंबर को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद, अगले पांच दिन हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार ‘पंचक’ थे और अशुभ समझे जाते हैं। नतीजों के बाद पहला शुभ दिन 17 दिसंबर था और इसी वजह से भोपाल, जयपुर और रायपुर, तीनों जगह एक ही दिन शपथ ग्रहण समारोह हुआ।

कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी हर शपथ ग्रहण समारोह में वरिष्‍ठ कांग्रेसियों और गठबंधन के नेताओं को साथ लेकर पहुंचे। मेहमानों को लाने-ले जाने के लिए कमलनाथ का 6 सीटर विमान, जिंदल ग्रुप का 8 सीटर विमान और आंध्र प्रदेश के एक नामी कारोबारी का 18 सीटर विमान उपलब्‍ध था। शपथ लेने से पहले हर मुख्‍यमंत्री ने राहुल और गठबंधन के सहयोगियों के पहुंचने तक इंतजार किया। कूमी कपूर लिखती हैं कि इस देरी के चलते दक्षिण के कई सांसद हैरान थे क्‍योंकि उन्‍होंने तय समय पर शपथ ग्रहण होते देखे हैं। दक्षिण में कुछ तो अंधविश्‍वास और कुछ आधिकारिक कार्यक्रम के अक्षरश: पालन की परिपाटी के चलते ऐसे कार्यक्रम तय समय पर ही होते हैं।

शपथ लेने के बाद राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्‍यमंत्री सचिन पायलट कार्यभार संभालने नहीं गए, बल्कि गांधी के लाव-लश्‍कर में शामिल होकर छत्‍तीसगढ़ सीएम के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्‍सा लेने पहुंच गए। रायपुर का कार्यक्रम शाम 5 बजे शुरू होना निर्धारित था, मगर 7 बज गए।

तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी इनमें से किसी शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुईं। हालांकि उन्‍होंने टीएमसी सांसद दिनेश त्रिवेदी को भोपाल और नदीमुल हक को जयपुर में अपने खर्च पर भेजा था। कूमी कपूर ने एक टीएमसी सांसद के हवाले से लिखा है, “हम शादी में गए थे, पर बारात का हिस्‍सा नहीं थे।”