ओमप्रकाश ठाकुर

पंजाब में भारी बहुमत से सरकार बनाने के बाद अब आम आदमी पार्टी ने पहाड़ पर चढ़ाई करने के मंसूबे बांध दिए हैं। यह मंसूबे सफल हो पाएंगे, कम से कम अभी तो यह संभव नहीं लग पा रहा है। हालांकि छह अप्रैल को आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले मंडी से प्रदेश में आम आदमी पार्टी का चुनावी आगाज शुरू करने जा रहे हैं लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के लिए चेहरों को चुनने की है। आम आदमी पार्टी में घूम फिर के वही कांग्रेस व भाजपा से रूठे-पिटे नेता ही शामिल हो रहे हैं। अभी तक जो चेहरे सामने आ रहे है, उनमें कोई कर्मचारी नेता है तो कोई सेवानिवृत अधिकारी है जो सेवानिवृति के बाद अपने लिए ठिकाना ढूंढ रहे हैं। ऐसे में पार्टी के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है।

प्रदेश में आम आदमी पार्टी का कोई मजबूत संगठन भी नहीं है। बावजूद इसके आम आदमी पार्टी ने हिमाचल के पहाड़ों पर चढ़ाई का मंसूबा बांधा जरूर है। पंजाब में जीत के बाद तो वह उत्साहित भी बहुत ज्यादा है और पार्टी के नेता आनलाइन सदस्यता अभियान के जरिए पार्टी की सदस्यता का आंकड़ा कई गुणा बढ़ जाने का भी दावा कर रहे हंै लेकिन इसकी सत्यता को लेकर अभी शंकाएं है।

प्रदेश में आरएसएस से भाजपा के बड़े नेता व सांसद राजन सुशांत के जरिए आम आदमी पार्टी ने 2014 के चुनावों में दाखिल होने की मुहिम छेड़ी थी। लेकिन सुशांत और उनका कुनबा आपस में ही झगड़ता रहा और आम आदमी पार्टी भाजपा व कांग्रेस के रिमोट से चलती रही और तबाह हो गई। तब से लेकर अब तक प्रदेश में आम आदमी पार्टी खुद को खड़ा करने की जंग लड़ रही है।

पंजाब की तरह ही हिमाचल में भी जनता भाजपा और कांग्रेस को बारी-बारी सता सौंपने के बाद थक चुकी है। अब तो दोनों ही दलों के नेताओं में मिलीभगत का भी दौर चल पड़ा है और भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर सवा चार साल में जयराम सरकार चुप्पी साधे रखने की रणनीति पर आगे बढ़ती रही और अब दोबारा सता में आने का सपना पाले हुए हैं। जबकि दूसरी ओर कांग्रेस सवा चार साल में मुखर विपक्ष की भूमिका निभाने में नाकाम रही है। कांग्रेस में अभी भी पार्टी पर कब्जा करने को लेकर अंदरूनी जंग छिड़ी हुई है। पार्टी अध्यक्ष कुलदीप राठौर को हटाने के लिए कई कोशिशें हो चुकी है। पार्टी का हर बड़ा नेता मुख्यमंत्री का चेहरा बनने की होड़ में है।

यह दीगर है कि उपचुनावों में कांग्रेस ने चारों सीटें जीती थीं। लेकिन पांच राज्यों में हुए चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद तमाम नेता पस्त हैं। ऐसे में पंजाब में जीत के बाद आप भाजपा व कांग्रेस की इस अंदरूनी जंग का फायदा उठाने की फिराक में है। चूंकि प्रदेश में आप का संगठन नहीं है, ऐसे में पार्टी के लिए इतना आसान भी नहीं है। मई में शिमला नगर निगम के चुनाव होने हैं व आम आदमी पार्टी ने नगर निगम के सभी 41 वार्डों के चुनाव जीतने का एलान किया है। यही चुनाव साबित कर देंगे कि प्रदेश की जनता पर पार्टी कितनी पकड़ बना पाई है।

अब मंडी में छह अप्रैल को होने वाले अरविंद केजरीवाल के रोड शो पर कांग्रेस और भाजपा के नेताओं की निगाहें लगी हैं। ऐसा नहीं है कि भाजपा व कांग्रेस नेताओं में आप के प्रदेश में दाखिल होने के मंसूबों के लेकर हलचल नहीं है, लेकिन वे इस बात से आश्वस्त हैं कि चुनाव के लिए छह महीने में ऐसा संगठन खड़ा करना बेहद मुश्किल है, जो जीत दिला दे। बाकी राजनीति में तो कुछ भी संभव है।