महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और मराठा आरक्षण का विषय उठाया, जिसे हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सूत्रों का कहना है कि उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी के साथ 10 मिनट का फेस-टाइम भी मांगा था। जिसके बार में अभी जानकारी नहीं है। उप मुख्यमंत्री अजीत पवार और अन्य के साथ गए मुख्यमंत्री ने कहा, “मैंने मराठा आरक्षण का मुद्दा उठाया।” महाराष्ट्र के लिए चक्रवात तौकते राहत पर भी चर्चा हुई। मीटिंग के बाद उद्धव ठाकरने कहा कि हम राजनीतिक रूप से एक साथ नहीं हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारा रिश्ता टूट गया है। ‘मैं कोई नवाज शरीफ से नहीं मिलने गया था’। इसलिए अगर मैं उनसे (पीएम) अलग से व्यक्तिगत रूप से मिलूं, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

आज की मुलाकात पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री से मुलाकात अच्छी रही। केंद्र साथ दे तो मराठा आरक्षण पर फैसला हो सकता है। पिछले महीने उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और उनसे राज्य में मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी जाति घोषित करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया ताकि वे शिक्षा (12 प्रतिशत) और नौकरियों (13 प्रतिशत) में आरक्षण का दावा कर सकें। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते आरक्षण को “असंवैधानिक” बताते हुए रद्द कर दिया था। पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि मराठा आरक्षण के लिए 2018 के कानून ने आरक्षण को मौजूदा 50 प्रतिशत की सीमा से आगे बढ़ा दिया है।

31 मई को महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण सहित ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लाभों का विस्तार किया, देवेंद्र फडणवीस सरकार द्वारा 2018 में मराठों को आरक्षण दिया गया था। बंबई उच्च न्यायालय ने आरक्षण को बरकरार रखा लेकिन उच्चतम न्यायालय ने उसके फैसले पर रोक लगा दी।

उद्धव ठाकरे की यात्रा सत्तारूढ़ शिवसेना के मुखपत्र – ‘सामना’ में एक संपादकीय के बाद भी आती है। जिसमें कहा गया था कि “महाराष्ट्र की राजनीति को अस्थिर करने” की लड़ाई दिल्ली में लड़ी जाएगी। पिछले महीने उसने कहा, “टकराव निर्णायक साबित होगा। महाराष्ट्र की राजनीति को अस्थिर करने के लिए विपक्ष मराठा आरक्षण के मुद्दे को हथियार के रूप में इस्तेमाल करेगा, फिर उन्हें इसे समय रहते रोकना होगा।”