प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीखे चुनावी हमले जारी रखते हुए मुुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर पलटवार करके आरोप लगाया कि वे अपने 2.7 लाख करोड़ रुपए के पैकेज से जनता को ‘धोखा’ दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आगामी बिहार चुनाव में वादाखिलाफी करने वालों को सबक सिखाएं। उनसे 25 सालों के शासन का हिसाब लें।

अब वक्त जातिवाद फैलाने का नहीं है। विकास की जरूरत है। जो सरकार केंद्र के संसाधनों का इस्तेमाल नहीं कर सकती है, उसे सरकार बनाने का कोई हक नहीं है। मोदी मंगलवार को यहां के हवाईअड्डा मैदान में एनडीए की परिवर्तन रैली को संबोधित कर रहे थे।

सभा के मंच पर लोजपा के रामविलास पासवान, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी के अलावा एक दर्जन नेता थे। उमस भरी गर्मी की वजह से भाषण देते वक्त प्रधानमंत्री को कई दफा तौलिए से अपना चेहरा और चश्मा पोछना पड़ा। राज्य में एक महीने में अपनी चौथी परिवर्तन रैली को यहां संबोधित करते हुए मोदी ने नीतीश के साथ ही उनके नए सहयोगी राजद के लालू प्रसाद पर जातिवाद और सांप्रदायिकता का जहर फैलाने और कांग्रेस से हाथ मिलाकर डॉ राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर की विरासत को ‘तिलांजलि’ देने का आरोप लगाया।

प्रधानमंत्री ने नीतीश और लालू से पिछले 25 साल के बिहार के उनके शासन का हिसाब मांगा। हालांकि इन 25 सालों में करीब सात साल भाजपा भी नीतीश सरकार में शामिल थी। उन्होंने कहा कि बिहार के लिए उनकी ओर से कुल मिलाकर लगभग 1.65 लाख करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किए जाने के दो तीन दिन तक नीतीश कुमार उसका मजाक उड़ते रहे। लेकिन जब उन्हें अहसास हुआ कि बिहार की जनता बहुत बुद्धिमान है और उनका खेल समझ गई है, उन्होंने अपना सुर बदल दिया। उन्होंने उसी मुद्दे (पैकेज) का प्रयोग किया जिसके लिए वे मुझे बुरा भला कह रहे थे। उन्हें भी 2.7 लाख करोड़ रुपए का पैकेज घोषित करने को मजबूर होना पड़ा।

नीतीश के पैकेज को हालांकि बिहार की जनता के साथ धोखा बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वित्त आयोग की सिफारिश पर केंद्र की सरकार अगले पांच साल में बिहार को 3.74 लाख करोड़ रुपए देने वाली है। उन्होंने कहा, ‘आप (नीतीश) दे रहे हैं 2.7 लाख करोड़ और दिल्ली से जो आ रहा है, वह 3.74 लाख करोड़ रुपए है। तो यह पूछा जाना चाहिए कि 1.06 लाख करोड़ रुपए कहां जाएगा, बताएं…। तो 1.06 लाख करोड़ रुपया चारे के लिए जाएगा क्या? चारे के खाते में लगेगा क्या? यह बिहार के लोगों की आंखों में धूल झोंकना है, बिहार के लोगों के साथ धोखा है।’

नीतीश कुमार के बारे में डीएनए संबंधी अपनी टिप्पणी को प्रतिद्वंद्वियों द्वारा चुनावी मुद्दा बनाए जाने को बेअसर करने के प्रयास में प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार के लोग हिंदुस्तान में सबसे तेज बुद्धि वाले हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, जिन लोगों ने डॉ लोहिया, जयप्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर को तिलांजलि दी है, उनको इस चुनाव में बटन दबाकर तिलांजलि देने का वक्त आ गया है। दो दिन पहले पटना में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ मंच साझा करने के लिए नीतीश और लालू प्रसाद पर कटाक्ष करते हुए मोदी ने कहा, पटना के गांधी मैदान में एक तिलांजलि सभा हुई। उस सभा में राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर को तिलांजलि दी गई।

कांग्रेस का दामन थामने के लिए नीतीश और लालू पर अपना प्रहार जारी रखते हुए मोदी ने कहा, राममनोहर लोहिया और उनके सारे चेले चपाटे जीवन भर कांग्रेस के खिलाफ लड़ते रहे। अब उन्हीं के चेले सत्ता स्वार्थ और सत्ता की भूख के लिए राममनोहर लोहिया को छोड़कर उनके साथ बैठे थे जिनका लोहिया ने जीवन भर विरोध किया। यह कौन-सा सिद्धांत, कौन-सी नीतियां हैं? मोदी ने हालांकि अपने भाषण में सोनिया गांधी, नीतीश कुमार या लालू प्रसाद का सीधे नाम नहीं लिया।

मोदी ने कहा कि चाहे कितने भी दल साथ आ जाएं, चाहे कितने भी नेता साथ आएं जाएं, कितने भी भ्रम, झूठ फैलाए जाएं, धोखे दिए जाएं लेकिन अब बिहार की जनता प्रगतिशील बिहार चाहती है, ऐसा बिहार जो रोजगार देने वाला हो, जहां किसानों का कल्याण और माता-बहनों की रक्षा हो। मोदी ने कहा, 25 साल तक जातिवाद और संप्रदायवाद का जहर फैलाने वाले लोगों को मजबूरन विकास के लिए पैकेज लाना पड़ा। मुझे इस बात की खुशी है कि चुनाव अब विकास के मुद्दे पर सही दिशा में आया।

प्रधानमंत्री ने कहा, जो लोग जेपी की अंगुली पकड़कर चले, उन्होंने ही जेपी को तिलांजलि दे दी और उनके साथ बैठ गए जिन्होंने जेपी को जेल में बंद किया और उनके स्वास्थ्य के साथ गंभीर समस्या पैदा हुई। मोदी ने कहा कि वे राज्य में अपने 25 साल के कार्यो और कारनामों का हिसाब देने को तैयार नहीं है और मुझसे हिसाब मांग रहे हैं जबकि मुझे 2019 में लोकसभा चुनाव के समय हिसाब देना है।

नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्होंने जनता से कहा कि वह सवाल पूछे कि आपने वादा किया था कि राज्य में लोगों को बिजली नहीं मिली तब 2015 के चुनाव में वोट नहीं मांगूगा। उन्होंने कहा कि क्या बिजली मिली ? जो आज वादाखिलाफी कर रहे हैं वे आगे न जाने क्या क्या करेंगे। उन्होंने कहा कि जनता सवाल करे कि उसे पढ़ाई के लिए, रोजी-रोटी के लिए बिहार छोड़कर बाहर क्यों जाना पड़ रहा है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार की खस्ता हालत का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीबों को दवा और स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचएस) सुविधा का प्रावधान है। इसके बारे में गरीब से गरीब राज्यों ने इन केंद्रों की संख्या बढ़ाई जबकि बिहार में 2005 में जहां 101 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थे, वे 2014 में घटकर 70 रह गए। राज्य सरकार इसके लिए आबंटित धन खर्च ही नहीं कर पाई। मोदी ने कहा कि जो सरकार धन खर्च नहीं कर पाए , वैसी सरकार को हमेशा के लिए हटा देना चाहिए।

मोदी ने कहा कि उन पर ताना कसा जा रहा है कि उन्हें 14 महीने बाद बिहार की याद आई। लेकिन यह गलत है। वे तो बिहार को भूले ही नहीं है। इस संदर्भ में उन्होंने नेपाल और बिहार के कुछ हिस्सों में आए भूकम्प, कोसी बाढ़ और कुछ अन्य घटनाओं में केंद्र सरकार के प्रयासों का जिक्र किया। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि याद तो उन्हें आना चाहिए जो सत्ता के नशे में भूल गए हैं। प्रधानमंत्री ने बिहार के पिछड़े जिलों का नाम बताने में देरी करने के लिए भी प्रदेश सरकार पर निशाना साधा।

विपक्षी नेताओं पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, सोचा था गांधी मैदान में बैठकर ये जनता को बताएंगे कि बिहार में गुंडाराज का खात्मा कैसे होगा, नौजवानों को रोजगार कैसे मिलेगा…। लेकिन ये भी मोदी-मोदी करने लगे। हमने तो विदेशों में भीड़ को ये नारे लगाते देखा और सुना था।